इंदिरा-राजीव लहर से कहीं प्रचंड है मोदी की आंधी
मोदी का क़हर राजीव के रिकॉर्ड को कर सकता है ध्वस्त
उत्तर में पंजाब और जम्मू-कश्मीर बढ़ाएंगे भाजपा का आँकड़ा
दक्षिण-पूर्व में ढहेंगे ममता, स्टालिन, वाम सहित क्षेत्रीय क्षत्रपों के गढ़
मध्य, पश्चिम तथा पूर्वोत्तर और सजाएंगे कमल का कलश
राजनीतिक विश्लेषक और पंडित नहीं भाँप पा रहे हवा रुख़
आलेख : कन्हैया कोष्टी
अहमदाबाद, 12 फरवरी, 2024 : लोकसभा चुनाव 2024 अब कुछ ही दिन दूर हैं। देश में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा-बीजेपी-BJP) का जोश हाई है, वहीं ‘मोदी रोको अभियान’ के लिए कांग्रेस आदि विपक्षी दलों की ओर से गठित इंडि गठबंधन (INDI ALLINACE) में चहुँओर बिखराव है।
इस बीच जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले दिनों वर्तमान लोकसभा के अंतिम सत्र के दौरान एक बार नहीं; बल्कि तीन-तीन बार घोषणा की कि लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा 370 और राष्ट्री जनतांत्रिक गठबंधन (राजग-एनडीए-NDA) 400 के पार पहुँचेगा। मोदी के इस दावे के बाद जहाँ भाजपा और एनडीए आत्मविश्वास से भर गए हैं, वहीं विपक्ष में इंडि गठबंधन तथा अन्य राजनीतिक दलों में मोदी को रोकने की धार लगातार मंद पड़ती जा रही है।
पंडित खुजला रहे सर, हम कह रहे 400 पार
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब कोई दावा करते हैं, तो पूरे देश में राजनीतिक विश्लेषक और राजनीतिक पंडित उस दावे की पड़ताल में जुट जाते हैं। मोदी के इस दावे पर भी देशभर के राजनीतिक पंडित सर खुजलाते हुए गणित बैठाने में जुट गए और किसी भी राजनीतिक पंडित या विश्लेषक यह कहने का साहस नहीं कर सका कि मोदी का दावा सटीक सिद्ध होगा, परंतु मैं छाती ठोक के कहता हूँ कि मोदी का दावा उनके दावे से भी आगे तक जाएगा और अकेले भाजपा 400 सीटों का आँकड़ा पार करेगी।
भाजपा 425 से 450 सीटों पर लड़ेगी चुनाव
मोदी के दावे के बाद अधिकतर राजनीतिक विश्लेषक पहले तो इस बात पर बहस करते नज़र आ रहे हैं कि भाजपा 370 सीटें तो तब ला सकेगी, जब वह कम से कम 400 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, परंतु मेरा दावा है कि भाजपा लोकसभा चुनाव 2024 में 425 से 450 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। गणित सीधा-सादा है। देश में कुल लोकसभा सीटें 543 हैं और भाजपा ने पिछले चुनाव में 436 सीटों पर चुनाव लड़ा था। राजनीतिक के महापंडितों का कहना है कि इस बार भाजपा जब एनडीए का कुनबा बढ़ा रही है, तो वह फिर वह 400 सीटों पर भी चुनाव कैसे लड़ पाएगी ? लेकिन मेरे दावे के अनुसार एनडीए का कुनबा कितना भी बढ़ जाए, परंतु फिर भी भाजपा कम से कम 425 सीटों पर आसानी से चुनाव लड़ सकेगी, क्योंकि इसके बाद भी एनडीए के लड़ने के लिए 118 सीटें बचेंगी। अब एनडीए में बड़े दलों में जनता दल (यूनाइटेड) यानी जदयू (जेडीयू-JDU), शिवसेना (शिंदे) और संभावित रूप से शामिल होने वाले तेलुगू देशम् पार्टी (तेदेपा-टीडीपी-TDP), अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (एआईएडीएमके-AIADMK) ही बड़े राजनीतिक दल हैं। शेष सारे दल 10 से कम सीटों पर चुनाव लड़ने वाले हैं। ऐसे में भाजपा के लिए एनडीए के घटक दलों में 118 सीटों को बाँटना मुश्किल नहीं होगा।
दावे के पीछे गणित नहीं, रसायन शास्त्र
मैं जब यह दावा कर रहा हूँ कि भाजपा अकेले 400 पार सीटें जीतेगी, तो इसके पीछे की वजह परंपरागत राजनीतिक विश्लेषण की तरह जातिगत या धर्मगत गणित शास्त्र नहीं है, बल्कि जनभावना से जुड़ा रसायन शास्त्र है। भाजपा के पास जहाँ एक ओर नरेन्द्र मोदी जैसा विश्व और देश का सबसे लोकप्रिय चेहरा है, तो मोदी सरकार द्वारा पिछले 10 वर्षों में किए गए शासनिक-प्रशासनिक कामकाज का मज़बूत लेखा-जोखा है, वहीं दूसरी ओर धारा 370 से लेकर अयोध्या में राम मंदिर तक की पूरी यात्रा के दौरान देशभर में जातिवाद से ऊपर सनातन धर्म के पक्ष में किए गए कार्य, देश की संस्कृति, सांस्कृतिक धरोहरों का जीर्णोद्धार, सांस्कृतिक पुनर्जागरण तथा सांस्कृतिक राष्ट्रवाद जैसे मुद्दे देश आम जनता के भाजपा-मोदी के लिए रसायन की तरह सक्रिय हो चुका है; जो अंतत: मतों में परिवर्तित होकर ही रहेगा।
‘राम-काज’ से मोदी की आंधी, ढह जाएंगे ‘गांधी’
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने पहले कार्यकाल में जहाँ एक सरकार के रूप में अनेक जनकल्याण योजनाओं के साथ-साथ भाजपा के एजेंडा में शामिल तीन महत्वपूर्ण मुद्दों में एक धारा 370 का को हटाने का वादा पूरा किया। इसी ‘काज’ के बूते भाजपा ने लोकसभा चुनाव 2019 में दोबारा पहले की अपेक्षा अधिक सीटों के साथ वापसी की। अब जबकि मोदी सरकार ने दूसरे कार्यकाल में भाजपा के एजेंडा में शामिल एक और मुद्दे राम मंदिर का निर्माण करवा दिया है, तब हर राजनीतिक विश्लेषक यह तो कह रहा है कि राम मंदिर का वादा पूरा करने के कारण भाजपा को आगामी चुनाव में लाभ होगा, परंतु कोई भी वह लाभ नहीं देख पा रहा, जैसा कि मैं मान रहा हूँ।
राम लहर : 2 से 89, तो राम-काज लहर : 303 से 304
मेरा मानना है कि काज के साथ राम के जुड़ते ही भाजपा की जनसमर्थन शक्ति पहले की तुलना में दुगुनी बढ़ गई है। पुराने अनुभव और जनभावनाओं के आधार पर स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि पूरे देश में प्रबल ‘राम’ लहर है। पुराने अनुभव के अनुसार जो भाजपा 1984 में केवल 2 सीटें जीत पाई थी, उसी भाजपा ने 1989 के चुनाव में 85 सीटें जीती थीं और उसका पूरा आधार राम लहर थी। तत्कालीन भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी के राम मंदिर आंदोलन को समर्थन देने और राम रथयात्रा निकाले जाने के कारण देश में जो राम लहर चली, उसने भाजपा को 2 से 89 पर पहुँचा दिया। उस समय वह विशुद्ध राम लहर थी, लेकिन आज यहाँ राम लहर से तात्पर्य है मोदी, भाजपा और सरकार का सनातन-हिन्दू धर्म के प्रति बिना किसी लागलपेट के प्रति झुकाव। यदि केवल राम भाजपा को 2 से 89 पर पहुँचा सकते हैं, तो अब तो राम मंदिर बन चुका है और धारा 370 सहित कई कार्य भी हुए हैं। ऐसे में लाभार्थी लहर और राम लहर जोड़ दें, तो अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि भाजपा 303 से 400 के पार आराम से पहुँच सकती है। जातिवाद की राजनीति करने वाले राजनीतिक दल और उसी के आधार पर राजनीति का गुणा-भाग करने वाले राजनीतिक पंडित यथार्थ के धरातल पर सनातन धर्मावलंबियों में मोदी के प्रति चल रही प्रचंड आंधी को भाँप नहीं पा रहे हैं। मोदी की आंधी इतनी वेगवान होगी कि कोई ‘गांधी’ टिक नहीं सकेगा।
मोदी लहर का क़हर, टूटेगा इंदिरा-राजीव लहर का रिकॉर्ड
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके ‘राम-काज’ की लहर ऐसा क़हर बरपाएगी कि वर्ष 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए लोकसभा चुनाव में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी तथा उनकी पार्टी को मिली सीटों 415 सीटों का रिकॉर्ड टूट जाएगा। इंदिरा गांधी की हत्या से उपजी सहानुभूति लहर ने राजीव गांधी को रिकॉर्ड 415 सीटों पर जीत दिलाई थी। कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव 1984 में 543 में 518 सीटों पर चुनाव लड़ा था। इसका अर्थ है कि भारी सहानुभूति लहर के बावजूद कांग्रेस को 103 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन लोकसभा चुनाव 2024 में मोदी के पक्ष में लहर चल रही है, उससे स्पष्ट है कि भाजपा अकेले 400 पार जाएगी।
उत्तर में पंजाब और जम्मू-कश्मीर बढ़ाएंगे भाजपा का आँकड़ा
भाजपा को लोकसभा चुनाव 2024 में 400 से अधिक सीटें कैसे मिलेंगी ? तो इस प्रश्न का उत्तर भारत के अलग-अलग दिशाओं वाले राज्यों से मिलता है। राजनीतिक विश्लेषक यह मान कर चल रहे हैं कि भाजपा के लिए उत्तर भारत में सीटें बढ़ाने का अधिक स्कॉप नहीं है, परंतु मेरा मानना है कि पिछले चुनाव में पंजाब और जम्मू-कश्मीर में जो कमी रह गई थी; वह इस चुनाव में भाजपा जरूर पूरा करेगी। पंजाब और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्य उत्तर भारत में भाजपा के बढ़े हुए आँकड़े को और बढ़ाएंगे।
दक्षिण-पूर्व में ढहेंगे ममता-स्टालिन जैसे क्षेत्रीय क्षत्रपों के गढ़
भाजपा को अपनी सीटें 400 के पार ले जाने में सबसे अधिक सहायता दक्षिण भारत करेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले 10 वर्षों में और विशेषकर पिछले 1 वर्ष में दक्षिण भारत की कई यात्राएँ की हैं। इतना ही नहीं; सनातन धर्म के सबसे बड़े राम-काज यानी राम मंदिर के निर्माण से पहले मोदी ने दक्षिण भारत के मंदिरों का श्रृंखलाबद्ध दौरा किया। संसद से लेकर भारत रत्न और यथार्थ के धरातल तक मोदी ने दक्षिण भारती तथा वहाँ के नागरिकों को विशेष स्थान दिया। इसी प्रकार पूर्व भारत यानी पश्चिम बंगाल और केरल जैसे राज्यों में भी भाजपा ने सांगठिनक स्तर पर पूरा ज़ोर लगा कर रखा है। मोदी लहर इतना भीषण प्रहार करेगी कि बंगाल में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी-TMC), एम. के. स्टालिन की तमिलनाडु में द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक-DMK) और केरल में वामपंथी दलों का गढ़ ढह जाएगा। इन तीनों राज्यों में सनातन विरोधी गतिविधियों को देखते हुए राम का रामेश्वरम् तक का संबंध मोदी और भाजपा को बड़ी जीत को आसान बनाएगा। विभिन्न्न ओपिनियन पोल जितना कह रहे हैं, भाजपा को इन राज्यों में उससे कहीं अधिक सफलता मिलेगी और मोदी की आंधी में ममता, स्टालिन तथा वाम दलों के गढ़ों का ध्वस्त होना निश्चित है। इसी प्रकार आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में भी भाजपा जितनी सीटों पर लड़ेगी, उन पर मोदी और राम-काज का लहर अवश्य दिखाई देगा।
मध्य, पूर्व तथा पूर्वोत्तर और सजाएंगे कमल का कलश
जहाँ तक मध्य, पश्चिम और पूर्वोत्तर भारत की बात है; तो देश के इन हिस्सों में भी भाजपा को अधिकतम् सीटें मिल चुकी हैं। ऐसे में मोदी की राम-काज लहर गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और पूर्वोत्तर के राज्यों में कमल के कलश की शोभा को और बढ़ाएंगे। भाजपा जिन सीटों पर पिछले चुनाव में जीत नहीं पाई, वे सीटें भी भाजपा के पक्ष में निश्चित ही आएंगी।
सहानुभूति वर्सिस प्रबंधन
कांग्रेस ने सहानुभूति लहर के भरोसे 415 सीटें जीतने का रिकॉर्ड बनाया था, लेकिन भाजपा के मामले में ऐसा बिलकुल नहीं है। भाजपा के साथ मोदी की लोकप्रियता, राम-काज लहर और उस पर सबसे भारी एक-एक सीट को जीतने की प्रबल इच्छाशक्ति है। भाजपा 425 या उससे अधिक; जितनी भी सीटों पर चुनाव लड़ेगी, उन सभी सीटों में एक-एक सीट पर पूरा ज़ोर लगाएगी। भाजपा का चुनाव प्रबंधन हमेशा से यही रहा है। पार्टी छोटे से छोटे चुनाव में भी जान झोंक देती है। ऐसे में भाजपा जिन-जिन सीटों पर लड़ेगी, उन सभी को जीतने के लिए एड़ी-चोटी का ज़ोर लगा देगी। इस प्रकार मोदी, राम-काज और चुनाव प्रबंधन के माध्यम से भाजपा चुनावी सीटों पर जीत का प्रतिशत 90 से 95 प्रतिशत तक रखेगी।