अहमदाबाद, 01 फरवरी : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा गुरुवार को बजट भाषण में घोषित प्रस्तावित टैक्स स्लैब और मीडिया में 12 लाख रुपए तक की आय पर कर में 100 प्रतिशत छूट के आँकड़ों को देख कर अगर आप कन्फ्यूजिया गए हैं, तो यहाँ आपका यह कन्फ्यूजन निश्चित रूप से दूर हो जाएगा।
दरअसल वित्त मंत्री ने न्यू टैक्स रिजीम के तहत इनकम टैक्स छूट की सीमा को 12 लाख रुपए करने का ऐलान किया है। यानी जिन लोगों की आय सालाना आय 12 लाख रुपए होगी, उन्हें जीरो टैक्स देना होगा। वहीं, नौकरीपेशा लोगों के लिए 75 हजार रुपये के स्टैंडर्ड डिक्शन का भी ऐलान किया गया है। यानी नौकरीपेशा वाले लोगों की सालाना आय 12.75 लाख होने पर कोई टैक्स नहीं देना होगा।
हालाँकि अनेक करदाता घोषित न्यू टैक्स रिजीम में टैक्स स्लैब के आँकड़ों को देखने के बाद समझ नहीं पा रहे हैं कि 12 लाख रुपए तक की आय टैक्स फ्री कैसे होगी ? नए टैक्स स्लैब के अनुसार 0 से 4 लाख लाख तक पर जीरो टैक्स है। उसके बाद 4 से 8 लाख पर 5% और 8 से 12 लाख पर 10% का स्लैब दिया गया है।
अब अनेक आम करदाताओं की समझ में नहीं आ रहा है कि जब 8 लाख रुपए तक की आय पर 5 प्रतिशत और 12 लाख रुपए तक की आय पर 10 प्रतिशत कर लगेगा, तो फिर 12 लाख रुपए तक की आय टैक्स फ्री कैसे हुई ?

इसका उत्तर है धारा 87
वित्तीय विशेषज्ञों के अनुसार अभी तक न्यू टैक्स रिजीम में बेसिक टैक्स एक्सेम्पशन लिमिट 3 लाख रुपए है। वहीं, इनकम टैक्स रिबेट लिमिट 7 लाख रुपए। अभी भी 3 लाख से 7 लाख के इनकम पर 5% की दर से टैक्स लगता है, लेकिन सरकार उसे 87A के तहत माफ कर देती है। इसलिए 7 लाख रुपए तक की इनकम टैक्स फ्री हो जाती है।
अब वित्त मंत्री ने गुरुवार को इसमें बदलाव की घोषणा की है। इस घोषणा के अनुसार सरकार ने बेसिक टैक्स एक्सेम्पशन लिमिट बढ़ाकर 4 लाख रुपये कर दिया है। वहीं, 4 लाख से 8 लाख रुपये की सालाना इनकम पर 5% और 8 लाख से 12 लाख के इनकम पर 10% की दर से टैक्स लगाया है।
इस तरह 12 लाख के इनकम पर कुल 60 हजार रुपये टैक्स बनेगा, लेकिन धारा 87ए आपको इस टैक्स से बचा लेगी, क्योंकि सरकार ने आयकर छूट की सीमा को बढ़ाने के साथ-साथ धारा 87A के तहत कर में अतिरिक्त छूट देने का निर्णय लिया है। वित्तीय वर्ष 2026-27 से इस धारा के तहत अधिकतम कर छूट 25,000 रुपये से बढ़ाकर 60,000 रुपये कर दी जाएगी, जिससे 12 लाख रुपये तक की आय कर मुक्त हो जाएगी। हालांकि, यह छूट कैपिटल गेन जैसी विशिष्ट आय श्रेणियों पर लागू नहीं होगी।