Wednesday, March 19, 2025
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बजट में गुजरात : मोदी की ‘गिफ्ट’ पर गिफ्ट की बौछार, आईएफएससी में निवेशकों-व्यवसायियों को अनेक छूट और प्रोत्साहनों की घोषणा

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गांधीनगर, 1 फरवरी : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा गुरुवार को प्रस्तुत बजट में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के रूप में स्थापित गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक (गिफ्ट) सिटी को बिग गिफ्ट मिली है।

उल्लेखनीय है कि राजधानी गांधीनगर में गिफ्ट सिटी की स्थापना मोदी के मुख्यमंत्रित्व काल में ही हुई थी, जिसका निरंतर विकास होता रहा है। ऐसे में गुरुवार को बजट में वित्त मंत्री ने गिफ्ट सिटी को और अधिक सुदृढ़ बनाने के लिए बड़ी प्रोत्साहक घोषणाएँ कीं।

वित्त मंत्री की इस घोषणा से माना जा रहा है कि इस बार के केन्द्रीय का सबसे बड़ा लाभार्थी गुजरात रहा है, क्योंकि वित्त मंत्री ने राज्य को एक वैश्विक वित्तीय और व्यापारिक केन्द्र के रूप में स्थापित करने के लिए अनेक प्रोत्साहनों और संरचनात्मक सुधारों की घोषणा की है। इस बजट में गुजरात के लिए मुख्य रूप से गिफ्ट सिटी स्थित इंटरनेशनल फाइनेंशियल सर्विसेज सेंटर (आईएफएससी) पर विशेष ध्यान देते हुए कर प्रोत्साहन, नियामक छूट और लाभों की समय-सीमा के विस्तार जैसी घोषणाएँ की गई हैं।

आईएफएससी के रणनीतिक व वित्तीय महत्व को ध्यान में रखते हुए सीतारमण ने गिफ्ट सिटी में वैश्विक व्यवसायों और वित्तीय संस्थानों को स्थापित करने के लिए कई उपायों की घोषणा की। इसमें एक प्रमुख पहल यह है कि आईएफएससी ढांचे के तहत लाभ प्राप्त करने की समय-सीमा पाँच वर्ष बढ़ाकर 31 मार्च 2030 कर दी गई है। इससे वैश्विक कंपनियों को आईएफएससी में अपनी उपस्थिति स्थापित करने के लिए अधिक समय मिलेगा।

इतना ही नहीं; गिफ्ट सिटी में जहाज पट्टे (शिप-लीजिंग) इकाइयों, बीमा कार्यालयों और वैश्विक निगमों के कोषागार केंद्रों (ट्रेजरी सेंटर्स) को विशेष लाभ प्रदान किए गए हैं, जिससे आईएफएससी की वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र को और अधिक सशक्त किया जा सकेगा तथा गिफ्ट सिटी एक प्रतिस्पर्धी वैश्विक वित्तीय केंद्र के रूप में स्थापित होगी।

आईएफएससी को वैश्विक वित्तीय गतिविधियों के लिए एक आकर्षक और प्रतिस्पर्धी केंद्र बनाए रखने के उद्देश्य से केंद्रीय बजट में कई कर प्रोत्साहनों और नियामक छूटों की घोषणा की गई है। इनमें आईएफएससी इकाइयों के लिए कर छूट, कटौती और पुनर्वास लाभों की “सनसेट डेट” 31 मार्च 2030 तक बढ़ाई गई है। इससे निवेशकों और व्यवसायों को दीर्घकालिक स्पष्टता मिलेगी।

इसके अतिरिक्त; आईएफएससी बीमा मध्यस्थ कार्यालयों द्वारा जारी की गई जीवन बीमा पॉलिसियों से प्राप्त आय को भी कर-मुक्त कर दिया गया है, जिससे बीमा कंपनियों और पॉलिसीधारकों को अधिक लचीलापन मिलेगा। बजट के तहत, गैर-निवासियों और आईएफएससी इकाइयों को धारा 10(4एच) के तहत पूंजीगत लाभ कर राहत भी दी गई है, जो शिप-लीजिंग घरेलू कंपनियों के इक्विटी शेयरों के हस्तांतरण पर लागू होगी।

धारा 10(34B) के तहत अब उन लाभांशों को कर-मुक्त कर दिया गया है, जो आईएफएससी में स्थित शिप-लीजिंग कंपनियों द्वारा अन्य आईएफएससी इकाइयों को दिए जाते हैं। इससे वित्तीय लेन-देन पर कर का बोझ कम होगा। साथ ही, यदि कोई समूह इकाई आईएफएससी में कोषागार गतिविधियों के लिए स्थापित की गई है, तो उसकी अन्य कंपनियों को दिए गए अग्रिम और ऋणों को लाभांश के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जाएगा, जिससे वैश्विक कंपनियों के लिए वित्तीय संरचना को अधिक सुव्यवस्थित बनाया जा सके।

निवेशक विश्वास और नियामक स्पष्टता को बढ़ाने के लिए, सरकार ने आईएफएससी में स्थित निवेश कोषों के लिए एक सरलीकृत “सेफ हार्बर” व्यवस्था पेश की है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के लिए कर छूट का प्रस्ताव भी रखा गया है, जिससे आईएफएससी में संचालित एफपीआई को “नॉन-डिलीवेरेबल फॉरवर्ड कॉण्ट्रैक्ट्स” से प्राप्त आय पर कर छूट दी जाएगी, बशर्ते कि वे निर्धारित शर्तों का पालन करें।

कोष पुनर्वास के लिए पूंजीगत लाभ कर छूट प्रदान की गई है, जिससे खुदरा योजनाओं और एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड्स (ईटीएफ) में शेयरों या इकाइयों के हस्तांतरण को कर योग्य नहीं माना जाएगा। इससे आईएफएससी के भीतर व्यापार पुनर्गठन को सुचारू रूप से संचालित करने में मदद मिलेगी।

गुजरात की आर्थिक वृद्धि पर प्रभाव

बजट में घोषित व्यापक प्रोत्साहनों और सुधारों से सरकार की आईएफएससी को एक वैश्विक वित्तीय केंद्र में बदलने की प्रतिबद्धता स्पष्ट होती है। इन उपायों से वित्तीय और शिप-लीजिंग क्षेत्रों में विदेशी निवेश को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है, जिससे गुजरात वैश्विक वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र में और मजबूती से स्थापित होगा, विशेष रूप से कोषागार प्रबंधन और पूंजी बाजार के क्षेत्र में।

आईएफएससी में व्यवसाय स्थापित करने की लागत को कम करके, ये सुधार इसे सिंगापुर और दुबई जैसे स्थापित वैश्विक वित्तीय केंद्रों के मुकाबले अधिक प्रतिस्पर्धी बनाएंगे। इसके अतिरिक्त, इन पहलों से राज्य में रोजगार के अवसरों और कौशल विकास को भी बढ़ावा मिलेगा, विशेष रूप से उच्च-मूल्य वित्तीय सेवाओं के क्षेत्र में, जिससे आईएफएससी को अंतरराष्ट्रीय वित्तीय परिदृश्य में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया जा सकेगा।

सरकार की आईएफएससी और गुजरात की आर्थिक प्रमुखता को बढ़ावा देना चाहती है। सरकार का मानना है कि ये उपाय भारत को वैश्विक वित्तीय बाजारों में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। जैसे-जैसे राज्य इन प्रोत्साहनों का लाभ उठाने के लिए तैयार होगा, गुजरात वित्तीय नवाचार, शिप-लीजिंग और वैश्विक कोषागार संचालन के लिए एक प्रमुख केंद्र के रूप में उभरने की ओर अग्रसर है।

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