Wednesday, March 19, 2025
HomeBBN-EXCLUSIVEपहले उनका साइन लेके आओ… : ‘दीवार’ के ‘विजय मार्ग’ से न...

पहले उनका साइन लेके आओ… : ‘दीवार’ के ‘विजय मार्ग’ से न टूटेगी कोरोना की ‘दीवार’ और न ही होगी ‘विजय’ !

Share:

आँकड़े भयवाह, परंतु तुलनात्मक निष्कर्ष कहता है,  ‘We Are Doing Best’

नहीं कर रहे या नहीं हो रहा’ को छोड़ कर ‘कर्मयोगियों’ से कहें, ‘All The Bet’

आलेख : काजल ओझा वैद्य (प्रसिद्ध गुजराती लेखिका व उपन्यासकार), हिन्दी अनुवाद : राजेन्द्र निगम
अहमदाबाद (8 मई, 2020)। यह आलेख लिखा जा रहा है, उस समय भारत में कोरोना के 56,342 पॉज़िटिव मामले पाए गए हैं तथा 1886  व्यक्तियों की मृत्यु दर्ज हो चुकी है। समाचार पत्र रोज बड़े-बड़े अक्षरों में कोरोना (CORONA) के बढ़ते मामलों की जानकारी दे रहे हैं, लेकिन जब पिछले दिनों गुजरात के स्वास्थ्य मंत्री सूरत में जनसंपर्क के लिए निकले, तब एक ख़बर बहुत ट्रोल हुई, जिसमें लोगों ने कहा कि ‘स्वास्थ्य मंत्री स्वयं लॉकडाउन का पालन नहीं करते हैं’।
भोजपुरी अभिनेता और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा-BJP) के नेता व सांसद मनोज तिवारी दिल्ली में लोगों की भीड़ को इकठ्ठा कर स्वयं मास्क बाँटते हुए दिखाई दिए…. ऐसे दो- चार समाचार हमें आसपास देखने को मिल जाते, मिलते रहते हैं, परंतु इसका यह अर्थ नहीं है कि हमें भी ऐसी ही कुछ हरक़तों को करने की छूट मिल जाती है !
आज से बहुत वर्ष पहले आई ‘दीवार’ नामक बॉलीवुड (BOLLYWOOD) फिल्म में लेखक जोड़ी सलीम-जावेद द्वारा लिखे डायलॉग में अमिताभ बच्चन (विजय) शशि कपूर (रवि) से कहते हैं, ‘हाँ, मैं साइन करूँगा, लेकिन सबसे पहले नहीं करूँगा, अकेले नहीं करूँगा। जाओ, पहले उसका आदमी साइन लेके आओ…’ हमने इस बात को हमारी मानसिकता के रूप में बहुत ही गहराई से स्वीकार कर लिया है।
यह आश्चर्य की बात है, लेकिन यह सच्चाई है कि भारतीय मानसिकता हमेशा दूसरों पर उंगली उठाने और दूसरों की भूलों को खोजने की रही है। हम कभी भी यह चर्चा नहीं करना चाहते कि हमने क्या किया है ? यदि कोई हमारी भूल की ओर इंगित करता है, तो हमें ठेस पहुँचती है, परंतु इसके विपरीत जब हम किसी अन्य की भूल बताते हैं, तो हम यह अहंकारपूर्ण दुराग्रह रखते हैं कि उसे उस भूल को स्वीकार करना ही चाहिए। इस प्रकार का अहंकार के साथ ही हमें इस बात का गौरव भी होता है कि हमने दूसरे को ग़लत सिद्ध किया है।

कृतज्ञता का भाव भूल गए हैं हम ?

आभार मानना, कृतज्ञता प्रकट करना या किसी की सराहना करना… मानों ये हमारे स्वभाव में ही नहीं है। चाहे वह सोसाइटी का सचिव या फिर प्रधानमंत्री ही क्यों न हों, उनके द्वारा किए गए कार्यों में दोष ढूँढना ही कुछ लोगों के जीवन का परम् लक्ष्य होता है। ऐसे लोग स्वयं कुछ नहीं करते हैं, बस फुरसत में बैठ कर सोशल मीडिया (SOCIAL MEDIA) का उपयोग इस तरह के प्रलाप (बकवास) फैलाने के लिए और दूसरों को भड़काते के लिए करते हैं।
पिछले दिनों व्हाट्सएप (WHATSAPP) पर कुछ वीडियो वायरल हुए। ‘पुलिस कितना भी काम करे, परंतु शराब, सिगरेट और पान-मसाला-गुटखा कहाँ व किस तरह उपलब्ध हैं’  इसकी जानकारी पुलिस-प्रशासन को चुनौती के साथ दी जाती है और ‘कहाँ – किस अस्पताल का कामकाज ठीक नहीं है, कहाँ मोटी फीस वसूली जा रही है, कहाँ सरकार, पुलिस, अधिकारियों के काम में चूक हुई है ?’ ऐसी बातों को बढ़ा-चढ़ा कर फैलाते हुए कई लोग अपने लॉकडाउन के समय का इस प्रकार ‘सदुपयोग’ कर रहे हैं ! समझने वाली बात यह है कि कौन काम नहीं कर रहा है ? यह खोजना कोई ‘बड़ी बात’ नहीं है!

सुपरपावर की पावर पड़ गई कम

वर्ष 2020 के आँकड़ों के अनुसार भारत देश की जनसंख्या लगभग 1,38,72,97,452 है। इसके समक्ष सिर्फ 56,342 मामले… संख्या के तर्क में यदि उतरें, तो समझ में आता है कि यह संख्या भारत की जनसंख्या, जनसंख्या घनत्व, गंदगी और शिक्षा के अनुपात में बहुत छोटी और कम है। थोड़ा और गहराई में उतरें, तो हम पाते हैं कि देश में कुल कोरोना संक्रमितों में से 28.6% लोग स्वस्थ भी हुए हैं। केवल 3.34 प्रतिशत ही कोरोना से मृत्यु को प्राप्त हुए हैं।
तथ्य यह भी उजागर होता है कि है कि कोरोना के मृतकों में अधिकांश लोग अन्य बीमारियों से भी पीड़ित थे। यदि तुलनात्मक दृष्टिकोण से देखें, अमेरिका में 33 करोड़ से अधिक की जनसंख्या में से लगभग 75,000 से अधिक लोगों की मृत्यु हुई है। उधर इटली में 6.4 करोड़ (2019) की जनसँख्या में मृत्यु का आँकड़ा 30,000 का है।
जो लोग अमेरिका के बारे में जानते हैं, उन्हें निश्चित रूप से मालूम होगा कि उस देश का क्षेत्रफल 9.8 मिलियन वर्ग किलोमीटर है, जबकि भारत का क्षेत्रफल 3,287,263 वर्ग किलोमीटर है। भारत से लगभग तीन गुना क्षेत्रफल और 10 गुना कम जनसंख्या वाले देश अमेरिका में भारत की तुलना  40 गुना अधिक मृत्यु हुई है। संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) चाहे चिकित्सा-उपचार और शिक्षा के मामले में कदाचित बहुत उन्नत देश हो, परंतु फिर भी वहाँ मरने वालों की संख्या दुनिया की कुल मौतों का एक चौथाई है ! अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प स्वयं किंककर्व्यविमूढ़ बने हुए हैं।

भारत में मृत्यु का आँकड़ा बहुत ऊँचा हो सकता था ?

यदि हम समझने का प्रयास करें, तो इसका अर्थ स्पष्ट है कि भारत सरकार कुछ तो ऐसा कर रही है, जिससे इस देश की घनी जनसंख्या के बावज़ूद जो मृत्यु का अनुमानित आँकड़ा हो सकता था, उसकी अपेक्षा वह अत्यंत कम है !
आँकड़े हमेशा भयावह व डराने वाले होते हैं, यदि उन्हें न समझा जाए या उनका तुलनात्मक अध्ययन न किया जाए, तो। अहमदाबाद या सूरत में बढ़ते मामलों के समाचारों की हेडलाइन पढ़ने वाले, टीवी पर समाचार देख कर और व्हॉट्सएप की अफवाहों से भयभीत नागरिकों को यह समझने की आवश्यकता है कि सरकार वह सब कुछ कर रही है, जो वह कर सकती है।
कई लोगों को भोजन के पैकेट देने से लेकर सरकार ने शहरों के होटलों को अस्पतालों में परिवर्तित करने के कदम उठाए हैं। गुजरात के 33 जिलों में सैंकड़ों बेड के कोविड 19 अस्पताल और जिला मुख्यालयों पर भी के अस्पताल तैयार किए हैं। पूरे राज्य में पुलिस अधिकारी-जवान, लगभग चार लाख कर्मचारी, अधिकारी और स्वयंसेवक चौबीसों घंटे ड्यूटी पर तैनात हैं। बिना राशन कार्ड के भी नि:शुल्क अनाज दिया जा रहा है। इसके अतिरिक्त और भी बहुत कुछ किया जा रहा है, लेकिन इतने बड़े देश में सरकार या पुलिस का हर स्थान पर पहुँचना क्या तार्किक रूप से संभव है ?

ग़रीबों-श्रमिकों की दुहाई देने वाले क्या ये जानते हैं ?

जो लोग लॉकडाउन के विरुद्ध रोष या विरोध जता रहे हैं और ग़रीबों व मज़दूरों की दुहाई में यह राग आलाप रहे हैं, ‘कोरोना से नहीं मरे, तो भूख से मर जाएँगे…’, पररंतु क्या उन्हें मालूम है कि प्रत्येक नगर में कई संस्थाएँ कार्यरत् हैं, जिनके स्वयंसेवक सुदूरवर्ती क्षेत्रों में जाते हैं और भोजन की किट और भोजन के पैकेट वितरित करते हैं ? रैंडम और रैपिड टेस्ट किए जा रहे हैं ? तापमान को मापने हेतु हर शहर में प्रवेश और निकास के स्थानों पर तापक्रम मापने की इन्फ्रारेड गन के साथ स्वयंसेवक और पुलिस तैनात रहती है ?
सरकार के कामकाज की सराहना नहीं कर सकते, कोई बात नहीं, परंतु यदि अधूरी जानकारी के आधार पर उनकी निंदा व्हॉट्सएप पर फॉरवर्ड नहीं करें, तो यह भी बहुत है !
हम जब ट्रोलिंग करते हैं, तो क्या हम जानते हैं कि टेस्ट करने के लिए स्वयं के संक्रमण के भय व परिवार को भूल कर घर-घर जाने वाले स्वयंसेवकों के लिए दरवाज़े नहीं खोलने वाले लोग, भाग जाने वाले लोग, परीक्षण पॉज़िटिव आने के बाद छिप जाने वाले लोग प्रत्येक गली-मोहल्ले और शहर के लिए ख़तरनाक सिद्ध हो रहे हैं ? सरकार या पुलिस उनका क्या कर सकती है ? 
कड़े आदेश के बावज़ूद लोग चाय पीने, गपशप करने, धार्मिक विधियों को पूरा करने के लिए जब क़ानून और नियमों की अवहेलना करते हैं, तब क्या किया जा सकता है ? कदाचित यहीयही कारण है कि राज्य सरकार ने कोरोना हॉटस्पॉट बन चुके अहमदाबाद एवं सूरत में अब निरंकुश लोगों के लिए शटडाउन (SHUTDOWN) का शस्त्र उठाया गया है। क्या यह शहरों के शिक्षित माने जाने वाले लोगों के लिए लज्जाजनक बात नहीं है ?
उल्लेखनीय है कि अहमदाबाद महानगर पालिका (AMC) क्षेत्र में 7 मई एवं सूरत महानगर पालिका (SMC) क्षेत्क्षेत्र में 8 मई से दूध एवं दवाई के अतिरिक्त सभी आवश्यक सेवाओं को बंद करवा दिया है।

आत्म-निरीक्षण आवश्यक

सटीक व महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि कौन क्या कर रहा है ? वह कितना गलत है ? इसके बारे में किसी को ट्रोल करने के स्थान पर, जो सही और अच्छा हो रहा है, इस पर ध्यान देने के प्रयास किए जाएँ। दूसरा महत्वपूर्ण बिंदु है कि यदि कोई व्यक्ति ग़लत काम करता है, तो उसकी ओर उंगली उठाने से हमें ग़लत करने का अधिकार नहीं मिलता है।
हम लगातार दूसरे की ओर देखते रहे हैं,  परंतु अब आत्म-निरीक्षण और स्व-अनुशासन का समय आ गया है। कोरोना ने हमें इतना अवश्य सिखाया है कि यदि हम स्वस्थ जीवन जीना चाहते हैं, तो स्वयं को संयमित करते हुए क़ानून का पालन करना अनिवार्य है।
जागो, जीवन हमारा है, दूसरों पर उंगली उठाने से कदाचित अहंकार संतुष्ट होगा, परंतु जीवन नहीं बचाया जा सकेगा।
Bhavy Bhaarat News
Bhavy Bhaarat News
भव्य भारत न्यूज़’ प्राचीतनम् भारत के महान वैभव एवं गौरव को आधुनिकतम् युग में जन-जन तक पहुँचाने का महायज्ञ, महाप्रयोग, महाप्रयास तथा महाभियान है। ‘भव्य भारत न्यूज़’ की ‘राष्ट्र – धर्म सर्वोपरि’ की मूल भावना में ‘विश्व कल्याण’ की विराट भावना भी समाहित है। इस मंच से हम ‘भारत’ को ‘भारत’ के ‘अर्थ’ से अवगत कराने का सकारात्मक, सारगर्भित एवं स्वानुभूत प्रयास करेंगे। ‘राष्ट्र सर्वोपरि’ तथा राष्ट्र को ही परम् धर्म के रूप में स्वीकार करते हुए कोटि-कोटि भारतवासियों व भारतवंशियों तक आधुनिक विज्ञान के माध्यम से प्राचीनतम्, परंतु आधुनिक-वैज्ञानिक व अनुभूतिपूर्ण ज्ञान परंपरा का जन-जन में प्रचार-प्रसार करना ही हमारा उद्देश्य है।
RELATED ARTICLES

Recent Post

Categories

Stay Connected

Popular Searches

- Vadnagar development"गुजरात डिजिटल पहल""ग्रामीण इंटरनेट कनेक्टिविटी""ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट""फाइबर टू द होम""स्मार्ट होम्स""हर घर कनेक्टिविटी"“SHC યોજના હેઠળ તેમને માત્ર જરૂરી ખાતરોનો મર્યાદિત માત્રામાં ઉપયોગ કરવાની ભલામણ કરવામાં આવી હતી000 કરોડ રોકાણ000 જેટલા નમુનાઓનું પૃથ્થકરણ પૂર્ણ થઇ ગયેલ છે. ઉપરાંત રવિ-2025 સીઝનમાં 2000 જેટલા માટીના નમૂનાઓનું પરીક્ષણ કરવા માટે સજ્જ છે. સોઇલ હેલ્થ કાર્ડ યોજના ખેડૂતોને તેમની જમીનને અસરકારક રીતે સમજવા અને તેમાં સુધારો કરવામાં000 નમૂનાઓનું પરીક્ષણ કરવાનો છે. ગુજરાત સરકાર પણ આ લક્ષ્યાંકને સમયસર હાંસલ કરવા માટે પ્રતિબદ્ધ છે000-1112 lakh tax free181 Abhayam2025 बजट215 નમૂનાઓ રાજ્ય સરકાર દ્વારા એકત્રિત કરી લેવામાં આવ્યા છે જે પૈકી 3286 નમૂનાઓનું વિશ્લેષણ કરવામાં આવ્યું હતું. વર્ષ 2024-25માં SHC યોજના હેઠળ ગુજરાત માટે ભારત સરકારનો ખરીફ ઋતુ માટેનો લક્ષ્યાંક 335