भाजपा-कांग्रेस का दोहरा प्रहार केजरीवाल के लिए बना आप-दा ?
यमुना की सफाई पर केजरीवाल की सफाई ही बनेगी गले का फंदा ?
अहमदाबाद, 31 जनवरी : देश में इस समय पौराणिक दृष्टि से सर्वाधिक महत्वपूर्ण, पवित्र व पूजनीय मानी जाने वाली गंगा व यमुना; दोनों नदियाँ बहुत ही चर्चा में हैं। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ के कारण जहाँ गंगा-यमुना तथा अदृश्य सरस्वती नदियों के संगम की ओर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है, वहीं दिल्ली विधानसभा चुनाव ने दिल्ली में गंदे नाले की भाँति बह रही यमुना नदी को चर्चा में ला दिया है।
दिल्ली से गुजरने वाली यमुना नदी बीते दो दशकों से राजनीतिक अखाड़े का केन्द्र बनी हुई है और इसी यमुना की गंदगी तथा सफाई को बड़ा मुद्दा बना कर आम आदमी पार्टी (एएपी-आआपा) दिल्ली की सत्ता में आई थी। अब जबकि आआपा संयोजक अरविंद केजरीवाल को अपने 11-12 वर्षों के मुख्यमंत्रित्व काल के बाद भी यमुना की सफाई पर सफाई देनी पड़ रही है, तब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा-बीजेपी) एवं कांग्रेस द्वारा उसी यमुना को लेकर दोहरा प्रहार किए जाने से प्रश्न उठ रहा है कि कहीं यमुना के नाम पर सत्ता की वैतरणी पार करने वाले केजरीवाल के लिए वही यमुना ‘राजनीतिक यम’ बनने जा रही है ? भाजपा-कांग्रेस के डबल अटैक के चलते केजरीवाल के लिए यमुना अब आप-दा बनने जा रही है ?
केजरीवाल ने वर्ष 2013 में राजनीति में प्रवेश करते समय जहाँ भ्रष्टाचार जैसे राष्ट्रीय मुद्दे को जोर-शोर से उठाया था, वहीं दिल्ली की राजनीति में उठाए गए प्रमुख मुद्दों में यमुना की सफाई उनकी सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक थी; परंतु आज 12 वर्षों के बाद तीसरी बार हो रहे दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में भी यमुना की सफाई का मुद्दा बना हुआ है।
यद्यपि केजरीवाल ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया है कि दिल्ली की सफाई का वादा पिछले 10 वर्षों में वे पूरा नहीं कर पाए हैं, लेकिन अगले पाँच वर्ष में ये काम कर देंगे। अब जनता तय करे कि उन्हें यह अवसर दिया जाए या नहीं ?
राजनीतिक दृष्टि से देखा जाए, तो केजरीवाल का यह स्पष्टीकरण ही उनके गले का फंदा बन सकता है; क्योंकि दिल्ली की जनता जहाँ एक ओर यमुना की दुर्दशा से कई वर्षों से परेशान हैं, तो दूसरी ओर भाजपा व कांग्रेस; दोनों मिल कर केजरीवाल पर झूठा वादा करने का आरोप लगाते हुए स्वयं वादा कर रही हैं कि यदि उनकी सरकार बनी, तो वे यमुना की सफाई का कार्य सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ करेंगे।
इतना ही नहीं; भाजपा-कांग्रेस के नेताओं का यमुना नदी की गंदगी को लगातार मुद्दा बनाए रखना और स्वयं केजरीवाल का भी यमुना के मुद्दे पर हरियाणा की भाजपा सरकार को घेरना केजरीवाल के लिए ही उल्टा बाण सिद्ध हो सकता है। यदि दिल्ली की जनता के मन में यमुना और केजरीवाल के वादे में खोखलेपन के मुद्दे ने घर कर लिया, तो केजरीवाल के लिए यमुना ‘राजनीति यम’ सिद्ध हो सकती है।