Monday, June 23, 2025
HomeBBN-EXCLUSIVEनीतीश हुए नतमस्तक, क्या अब उद्धव को ‘उल्टे पाँव’ ला सकती है...

नीतीश हुए नतमस्तक, क्या अब उद्धव को ‘उल्टे पाँव’ ला सकती है भाजपा ?

Share:

जो बिहार में हुआ, वह महाराष्ट्र में भी होना कितना संभव ?

‘धर्मनिरपेक्ष’ नीतीश मान सकते हैं, तो कट्टर ‘हिन्दुत्ववादी’ शिवसेना क्यों नहीं ?

घण्टों में बदलती है राजनीति, तो उद्धव को भी लाया जा सकता है एनडीए में ?

‘हिन्दुत्व’ के मुद्दे पर हर मतभेद भुला सकते हैं भाजपा-शिवसेना ?

आलेख : कन्हैया कोष्टी

अहमदाबाद, 30 जनवरी, 2024 : बिहार में जो कुछ भी हुआ, वह भारतीय राजनीति में स्थायी शत्रु-मित्र की परिभाषा का पर्याय है। जिसके बारे में कुछ घण्टों पहले सोचा भी न जा सकता हो, उसका हो जाना बिहार की राजनीति से सिद्ध हुआ है।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा-BJP) ने लोकसभा चुनाव 2024 में लगातार तीसरी बार केन्द्र की सत्ता में लौटने के लिए एड़ी-चोटी का ज़ोर लगाया हुआ है और इसी क्रम में बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग-NDA) में वापस लाकर भाजपा ने इसका संकेत भी दे दिया है।

बिहार के राजनीतिक घटनाक्रम से यह सिद्ध हो गया है कि भाजपा लोकसभा चुनाव 2024 में 400 से अधिक सीटें पाने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए किसी भी सीमा तक जा सकती है। ऐसे में प्रश्न यह उठता है कि क्या भाजपा महाराष्ट्र में भी कुछ ऐसा ही करने पर विचार कर सकती है ?

महाराष्ट्र को लेकर प्रश्न उठना इसलिए भी स्वाभाविक है, क्योंकि बिहार में नीतीश कुमार की एनडीए में ‘वापसी’ कराई गई है। ऐसे में क्या भाजपा का अगला लक्ष्य महाराष्ट्र में एनडीए के पुराने साथी शिवसेना (उद्धव बालासाहब ठाकरे) की भी ‘वापसी’ कराने का हो सकता है ?

हालाँकि फ़िलहाल राजनीतिक गलियारों में ऐसी संभावना दूर-दूर तक नज़र नहीं आ रही है, परंतु यह भी मानना होगा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की जोड़ी प्राय: असंभव दिखाई देने वाले कार्य करने के लिए जाने जाते हैं। ऐसे में महाराष्ट्र की राजनीति में भी भाजपा तथा मोदी-शाह की जोड़ी उस उद्धव ठाकरे तथा उनकी शिवसेना को एनडीए में वापस लाने के प्रयास कर सकती है, जिसका एजेंडा नीतीश कुमार के जनता दल (यूनाइटेड) के मुक़ाबले कहीं अधिक भाजपा से मेल खाता है।

भाजपा और शिवसेना वर्षों पुराने साथी रहे हैं। दोनों का राजनीतिक एजेंडा मोटे तौर पर हिन्दुत्व पर आधारित है। ऐसे में यदि मोदी-शाह की जोड़ी महाराष्ट्र में उद्धव के साथ सारे राजनीतिक मतभेद भुलाना चाहे, तो उसे उसकी कट्टर हिन्दुत्ववादी छवि का हवाला देकर उसकी एनडीए में वापसी को आसान बना सकती है।

जहाँ तक विश्वसनीयता का प्रश्न है, तो बिहार में हुई उठापटक ने पूरे देश को दिखा दिया कि नेताओं के वक्तव्य कुछ ही घण्टों में किस प्रकार बदल जाते हैं या बदले जा सकते हैं ? फ़िलहाल भले ही शिवसेना (UBT) और उसके नेता उद्धव ठाकरे तथा संजय राउत सीधे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विरुद्ध आक्रामक रुख़ अपनाए हुए हों, परंतु कट्टर हिन्दुत्व के नाम पर यदि मोदी-शाह की जोड़ी संपूर्ण शिवसेना की एनडीए में वापसी कराने में सफल रहती है, तो उद्धव तथा राउत सहित समूची शिवसेना (यूबीटी) के पास अपने बचाव के लिए हिन्दुत्व के नाम पर कई बहाने होंगे। ऐसे में शिवसेना (यूबीटी) को एनडीए में वापस लाना JDU-नीतीश कुमार के मुकाबले काफ़ी आसान लगता है।

वैसे मोदी-शाह के लिए शिवसेना (यूबीटी) की एनडीए में वापसी आसान भी हो सकती है और कठिन भी। आसान इसलिए, क्योंकि भाजपा-एनडीए के साथ आने पर शिवसेना (यूबीटी) को महाराष्ट्र और केन्द्र की सरकारों में भागीदारी मिल सकती है और कोई आकर्षक ऑफ़र उद्धव को एनडीए में वापसी करने के लिए रिझा भी सकता है। कठिन इसलिए, क्योंकि भाजपा के कारण शिवसेना में दो फाड़ हो चुके हैं। ऐसे में मोदी-शाह को सबसे पहले मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना और उद्धव की शिवसेना का मेल कराना होगा। इसके बाद ही संपूर्ण शिवसेना की एनडीए में वापसी संभव होगी।

हालाँकि शिंदे-उद्धव गुट को एक साथ लाने में बड़ी मुश्किल नहीं आएगी, क्योंकि दोनों ही गुट दिवंगत बालासाहब ठाकरे को अपना नेता मानते हैं। ऐसे में बालासाहब की स्वीकार्यता तथा हिन्दुत्ववादी विचारधारा के नाम पर शिंदे-उद्धव गुट एक साथ आ सकते हैं। भाजपा यदि पहले शिंदे-उद्धव को एक करने में सफल होती है, तो संपूर्ण शिवसेना की एनडीए में वापसी कराई जा सकती है।

भाजपा को इंडि (INDI) गठबंधन पर भी नज़र रखनी होगी। जिस प्रकार बिहार में नीतीश कुमार को इंडि गठबंधन से परेशानी हुई, ठीक वैसा ही कुछ महाराष्ट्र में शिवसेना (यूबीटी) के साथ भी होना चाहिए। यदि उद्धव भी सीट शेयरिंग के मुद्दे पर इंडि गठबंधन से असंतुष्ट हों, तो भाजपा तथा मोदी-शाह की जोड़ी का काम पूरी तरह आसान बन जाएगा।

हालाँकि यह पूरा आलेख बिहार की राजनीति में अचानक हुई उठापटक से प्रेरित होकर तैयार किया गया है, जहाँ पूरे देश ने देखा कि कुछ ही घण्टों में सब कुछ इधर से उधर हो सकता है। यदि बिहार में हो सकता है, तो महाराष्ट्र में भी हो सकता है। इसी संभावना को आधार बना कर यह आलेख तैयार किया गया है। जैसा कि पहले ही कहा गया कि फ़िलहाल मोदी-उद्धव के संबंध अत्यंत कड़वे हैं और दूर-दूर तक उद्धव को उल्टे पाँव एनडीए में लाए जाने की कोई संभावना नहीं दिखाई देती है, परंतु बिहार की तरह महाराष्ट्र में भी किसी भी दिन ‘कुछ ही घण्टों में’ ऐसा हो सकता है।

Kanhaiya Koshti
Kanhaiya Koshtihttps://bhavybhaarat.com/
मेरा नाम कन्हैया कोष्टी है। मैं पिछले 30 वर्षों से पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूँ। मुझे धर्म, अध्यात्म, संस्कृति, राजनीति, देश-विदेश से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों पर लिखने की रुचि रही है। इस वेबसाइट के माध्यम से मैं अपने विचारों के तथ्यों व विश्लेषण के आधार परआप सभी के साथ साझा करूंगा।
RELATED ARTICLES

Recent Post

Categories

Stay Connected

Popular Searches