Sunday, March 23, 2025
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कच्छ के गुनेरी गाँव में 32.78 हेक्टेयर क्षेत्र गुजरात की प्रथम ‘बायोडाइवर्सिटी हेरिटेज साइट’ के रूप में घोषित

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जैवविविधता संवर्धन क्षेत्र में गुजरात की एक और उपलब्धि

गांधीनगर, 30 जनवरी : पर्यटन एवं प्रकृति क्षेत्र में देश-विदेश में विशिष्ट स्थान रखने वाले कच्छ को एक और उपलब्धि प्राप्त हुई है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के मार्गदर्शन तथा वन एवं पर्यावरण मंत्री मुळुभाई बेरा व राज्य मंत्री मुकेशभाई पटेल के निरंतर प्रयासों से गुजरात बायोडाइवर्सिटी बोर्ड (जीबीबी) द्वारा कच्छ की लखपत तहसील के गुनेरी गाँव के 32.78 हेक्टेयर क्षेत्र को ‘बायोडाइवर्सिटी हेरिटेज साइट’ (बीएचएस) के रूप में घोषित किया है, जिससे कच्छ की विविधतापूर्ण विशेष पहचान में एक और नजराना जुड़ा है।

इतना ही नहीं; वन एवं पर्यावरण विभाग अंतर्गत जीबीबी के जैविक विविधता के संरक्षण व संवर्द्धन के महत्वपूर्ण कदम के रूप में गुनेरी स्थित इस 32.78 हेक्टेयर क्षेत्र ‘इनलैंड मैंग्रोव गुनेरी’ साइट को गुजरात की प्रथम ‘बायोडाइवर्सिटी हेरिटेज साइट’ के रूप में घोषित किया गया है।

मैंग्रोव मुख्य रूप से समुद्र तट पर ऐसे स्थान पर पाए जाते हैं, जहाँ 24 घण्टे में एक बार पानी आकर चला जाता है, जहाँ सतत दल-दल या कीचड़ रहता है; परंतु अरब सागर से 45 किलोमीटर तथा कोरीक्रिक से 4 किलोमीटर दूर स्थित गुनेरी में पाए जाने वाले मैंग्रोव में न कभी पानी आता है और न ही कीचड़ या दलदल है। यहाँ सपाट जमीन पर 32.78 हेक्टेयर क्षेत्र में मैंग्रोव जंगल की तरह फैले हुए देखने को मिलते हैं, जो अपने आप में एक विशिष्टता है। इसलिए यह बहुत आवश्यक है कि ऐसी सपाट जमीन पर जंगल की भाँति फैले मैंग्रोव के विशिष्ट व यूनिक स्थान के बारे में लोगों को जानने को मिले, जिससे उसका संरक्षण व संवर्द्धन हो। इसी उद्देश्य से जीबीबी की अनुशंसा को ध्यान में लेते हुए गुजरात सरकार द्वारा कच्छ जिले की लखपत तहसील की ‘इनलैंड मैंग्रोव गुनेरी’ साइट को गुजरात की प्रथम ‘बायोडाइवर्सिटी हेरिटेज साइट’ (बीएचएस) के रूप में घोषित किया गया है। इसके अंतर्गत गुजरात जैवविविधता बोर्ड के मैनेजमेंट प्लांट के जरिये मैंग्रोव के फ्लोरा व फौना का संरक्षण व संवर्द्धन किया जाने वाला है। वन एवं पर्यावरण विभाग की अधिसूचना में कहा गया है कि यहाँ स्थानीय लोगों के अधिकारों व विशेषाधिकारों का सम्मान किया जाएगा। साथ ही; स्थानीय लोगों, वन विभाग के कर्मचारियों तथा स्थानीय वन्य व आदिवासी प्रजा के क्षमतावर्द्धन प्रशिक्षण के माध्यम से जैवविविधता का संरक्षण व संवर्द्धन किया जाएगा।

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