Sunday, March 23, 2025
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हीमोफीलिया मरीजों को गुजरात सरकार दे रही है नि:शुल्क उपचार

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राज्य सरकार द्वारा पिछले दो वर्षों में हीमोफीलिया के मरीजों को 30,000 रुपए मूल्य के 11,000 से अधिक इंजेक्शन नि:शुल्क दिए गए

2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा हीमोफीलिया मरीजों को नि:शुल्क इंजेक्शन देने की शुरुआत किए जाने के बाद विकलांगता के मामलों में हुई उल्लेखनीय कमी

हाल में गुजरात में हीमोफोलिया के 3,000 मरीज; राज्य का एकमात्र हीमोफोलिया केयर सेंटर सूरत के नए सिविल अस्पताल में कार्यरत

गांधीनगर, 21 जनवरी : विश्वभर में लाखों लोग दुर्लभ हीमोफीलिया बीमारी से पीड़ित हैं। हीमोफीलिया रक्त संबंधी आनुवांशिक रोग है, जिसमें रक्त उचित ढंग से जमता नहीं होने के कारण रक्तस्राव होता है। इस रोग का स्थायी इलाज नहीं है। इसलिए इसे नियंत्रण में रखना तथा मरीज को समय पर उपचार देना आवश्यक है। हाल में गुजरात में 3,000 से अधिक हीमोफीलिया मरीज हैं, जिन्हें मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व वाली राज्य सरकार निःशुल्क इंजेक्शन प्रदान कर रही है। 2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने हीमोफीलिया के मरीजों को निःशुल्क इंजेक्शन देने की शुरुआत की थी, जिसके कारण हीमोफीलिया के मरीज आज अधिक स्वस्थ तथा सक्रिय जीवन जी रहे हैं।

समग्र विश्व में हर 10,000 व्यक्तियों में 1 व्यक्ति हीमोफीलिया से ग्रस्त है

हीमोफीलिया बीमारी में क्लॉटिंग फैक्टर की कमी होती है, जिसके कारण रक्त शीघ्र जमता नहीं है। रक्त में कुल 13 प्रकार के क्लॉटिंग फैक्टर होते हैं, जिनमें से फैक्टर 8 व 9 अगर खामीयुक्त हों, तो हीमोफीलिया होने की संभावना रहती है। हीमोफीलिया के ए, बी व सी; ये तीन प्रकार होते हैं और इनमें गंभीरता के अनुसार सीवियर, मॉडरेट तथा माइल्ड; इन तीन प्रकार के मरीज देखने को मिलते हैं। समग्र विश्व में हर 10,000 व्यक्तियों में 1 व्यक्ति को हीमोफीलिया होता है।

हीमोफीलिया पीड़ित मरीजों को गुजरात सरकार निःशुल्क उपचार दे रही है

हीमोफीलिया के मरीजों में रक्तस्राव बंद हो; इसके लिए जरूरी फैक्टर के इंजेक्शन दिए जाते हैं। पूर्व में हीमोफीलिक के लिए रक्तस्राव को नियंत्रण में लेने का उपचार प्राप्त करना मुश्किल था। हालाँकि 2012 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने सिविल अस्पतालों में हीमोफीलिया मरीजों को मुफ्त इंजेक्शन देना शुरू किया था, जिसके चलते मरीजों की लाइफ स्पान यानी आयु बढ़ी है और उनके लिए रोजमर्रा की गतिविधियाँ सरल बनी हैं। हीमोफीलिक व्यक्ति को दिए जाने वाले एक इंजेक्शन का मूल्य 25 से 30 हजार रुपए होता है, जिसका खर्च राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाता है। हाल में समग्र राज्य के सिविल अस्पतालों में ये इंजेक्शन उपलब्ध हैं। पिछले 2 वर्षों में मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा 11,800 से अधिक फैक्टर (इंजेक्शन) निःशुल्क उपलब्ध कराए गए हैं।

सूरत का हीमोफीलिया केयर सेंटर भारत का पहला ऐसा सेंटर है, जो 24 घण्टे कार्यरत है

आज गुजरात में 3,000 से अधिक हीमोफीलिया मरीज हैं, जिनमें से 500 से अधिक मरीज सूरत में हैं। सूरत में ‘हीमोफीलिया सोसाइटी-सूरत चैप्टर’ हीमोफीलिया के मरीज पीड़ामुक्त जीवन जी सकें तथा लोगों में इस रोग के विषय में जागरूकता का प्रसार हो; इसके लिए कार्य कर रही है। वर्ष 2015 में इस संस्था एवं नए सिविल अस्पताल

के सहयोग से सूरत स्थित नए सिविल अस्पताल में हीमोफीलिया केयर सेंटर की स्थापना की गई थी। यह गुजरात का एकमात्र हीमोफीलिया समर्पित केन्द्र है। नए सिविल अस्पताल-सूरत में सर्वाधिक हीमोफीलिया मरीजों की सफलतापूर्वक सर्जरी की गई है। इतना ही नहीं; यह भारत का पहला ऐसा केयर सेंटर है, जो 24 घण्टे कार्यरत रहता है।

सूरत के हीमोफीलिया सेंटर में देश-विदेश से सर्जरी कराने के लिए आते हैं मरीज

सूरत के हीमोफीलिया सेंटर में मरीजों को निःशुल्क देखभाल, रक्त परीक्षण तथा उपचार सुविधा दी जाती है। यहाँ मेडिकल एग्जामिनेशन रूम, मैनेजमेंट रूम, काउंसेलिंग रूम, लैबोरेटरी, नर्सिंग रूम, फीजियोथेरापी रूम, रिकॉर्ड रूम तथा रोगी सुश्रुषा वॉर्ड उपलब्ध है। इस संस्था द्वारा समग्र गुजरात में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें आवश्यक रक्त परीक्षण निःशुल्क किया जाता है। उच्च स्तरीय उपचार व सुश्रुषा उपलब्ध होने के कारण अन्य राज्यों एवं भारत के अतिरिक्त; जांबिया, दुबई जैसे देशों से भी मरीज सूरत के हीमोफीलिया केयर सेंटर में उपचार हेतु आते हैं।

हीमोफीलिया केयर सेंटर के प्रबंधक श्री निहाल भातवाला कहते हैं, “गुजरात की संवेदनशील सरकार तथा नया सिविल अस्पताल-सूरत के सहयोग के बिना मरीजों का उपचार असंभव है। हाल में लगभग 94 हीमोफीलिया मरीजों को यहाँ प्रोफाइल एक्सेस (रक्तस्राव होने से पहले ही दिया जाने वाला) उपचार दिया जा रहा है, जिसके कारण मरीजों में रक्तस्राव होने की संभावना नहीं के बराबर हो गई है। इस उपचार के कारण मरीज के विकलांग होने की संभावना भी नहीं रहती है और जान का जोखिम भी कम रहता है।”

दुर्लभ रोगों से लड़ते हुए डॉक्टर, सीए तथा वकील बने हीमोफीलिया मरीज

हीमोफीलिया सोसाइटी-सूरत के सहयोग के फलस्वरूप हीमोफीलिया केयर सेंटर आज मरीजों के लिए आशा की किरण बना है। इस दुर्लभ रोग के साथ जीने वाले लोग न केवल स्वस्थ जीवन जी रहे हैं, अपितु अपने सपने भी साकार कर रहे हैं। सूरत में ही हीमोफीलिया के कई मरीज डॉक्टर, सीए, वकील जैसे व्यवसाय में कार्यरत हैं।

इस संबंध में हीमोफीलिया सोसाइटी-सूरत चैप्टर के अध्यक्ष श्री नीलेश जरीवाला ने कहा, “आज से 10 वर्ष पहले हीमोफीलिया के लिए कोई उपचार उपलब्ध नहीं था, परंतु गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने क्लॉटिंग फैक्टर के इंजेक्शन उपलब्ध कराकर हीमोफीलिया के साथ जी रहे लोगों का जीवन अधिक आसान बनाने के लिए उम्दा प्रयास किया। अब इतनी अच्छी ट्रीटमेंट मिल रही है कि मरीज को महीने में एक ही बार फैक्टर लेने की जरूरत पड़ती है। पहले कोई सुविधा या उपचार उपलब्ध नहीं होने के कारण काफी दिक्कतें होती थीं, परंतु आज गुजरात सरकार के प्रयासों के परिणामस्वरूप हीमोफीलिया पीड़ित व्यक्ति भी सामान्य जीवन जी सकते हैं। इनमें से कई मरीज आज डॉक्टर, सीए, वकील तथा इंजीनियर बन चुके हैं।”हले हीमोफोलिया के लिए कोई उपचार उपलब्ध नहीं था, परंतु गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने क्लॉटिंग फैक्टर के इंजेक्शन उपलब्ध कराकर हीमोफोलिया के साथ जी रहे लोगों का जीवन अधिक आसान बनाने के लिए उम्दा प्रयास किया। अब इतनी अच्छी ट्रीटमेंट मिल रही है कि मरीज को महीने में एक ही बार फैक्टर लेने की जरूरत पड़ती है। पहले कोई सुविधा या उपचार उपलब्ध नहीं होने के कारण काफी दिक्कतें होती थीं, परंतु आज गुजरात सरकार के प्रयासों के परिणामस्वरूप हीमोफोलिया पीड़ित व्यक्ति भी सामान्य जीवन जी सकते हैं। इनमें से कई मरीज आज डॉक्टर, सीए, वकील तथा इंजीनियर बन चुके हैं।”

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