‘सांत्वना केन्द्र’ एक ऐसा स्थान होगा, जहाँ पुलिस थाने आने वाले सभी बच्चों, महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों की बात संवेदनशीलता और सहानुभूति के साथ सुनी जाएगी
‘सांत्वना केन्द्र’ में महिला सहायता डेस्क, बाल कल्याण पुलिस अधिकारी, 181-’अभयम्’ और पुलिस थाना आधारित सहायता केन्द्र जैसी विभिन्न सेवाएँ एक ही छत के नीचे उपलब्ध होंगी
गांधीनगर, 16 जनवरी, 2025 : गुजरात पुलिस ने राज्य के नागरिकों; विशेषकर महिलाओं, बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा के लिए एक नई पहल की है। इस पहल के तहत राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) विकास सहाय ने हर पुलिस थाने में ‘सांत्वना केन्द्र’ शुरू करने का निर्णय लिया है।
‘सांत्वना केन्द्र’ एक ऐसा स्थान होगा, जहाँ पुलिस थाने आने वाले सभी बच्चों, महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों की बात संवेदनशीलता और सहानुभूति के साथ सुनी जाएगी। उनकी कठिनाइयों को समझते हुए उन्हें उचित परामर्श एवं कानूनी मार्गदर्शन प्रदान किया जाएगा। ये केन्द्र एक ही छत के नीचे महिला सहायता डेस्क, बाल कल्याण पुलिस अधिकारी, 181-’अभयम्’ और पुलिस थाना आधारित सहायता केन्द्र (पीएसबीएसएस) जैसी विभिन्न सेवाएँ प्रदान करेंगे।
“सांत्वना केन्द्र” में महिला सहायता डेस्क, बाल कल्याण पुलिस अधिकारी, 181-’अभयम्’ और पीएसबीएसएस; ये चारों व्यवस्थाएँ शामिल होंगी। वर्तमान में अलग-अलग ढंग से कार्यरत ये चारों व्यवस्थाएँ आपस में समन्वय स्थापित कर काम करें; इसके लिए “सांत्वना केन्द्र” राज्य के प्रत्येक थाने में शुरू करने का निर्णय लिया गया है।
पुलिस थानों में “सांत्वना केन्द्र” में एक ही छत के नीचे निम्नलिखित चार सेवाएँ उपलब्ध होंगी :
• महिला सहायता डेस्क : महिला सहायता डेस्क पुलिस थाने में आने वाली महिलाओं की सहायता और परामर्श के लिए काम करती है।
• बाल कल्याण पुलिस अधिकारी : बाल कल्याण पुलिस अधिकारी पुलिस थाने में आने वाले कानूनी रूप से संघर्षरत बच्चों को परामर्श प्रदान करते हैं।
• 181-’अभयम्’ : महिलाओं की सुरक्षा और संरक्षा से संबंधित कार्य ‘181-’अभयम्’’ प्रणाली के माध्यम से किया जाता है।
• पीएसबीएसएस (पुलिस थाना आधारित सहायता केन्द्र) : पीएसबीएसएस पीड़ित महिला और विरोधी पक्ष के सदस्यों को परामर्श देकर मुद्दों को हल करने के लिए काम करता है।
‘सांत्वना केन्द्र’ के मुख्य उद्देश्य :
• पुलिस थाने में आने वाले सभी बच्चों, महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों की बातों को उचित ढंग से, संवेदनशीलता और सहानुभूति के साथ सुनना।
• उनकी समस्याएँ सुनना और उचित कानूनी मार्गदर्शन प्रदान करना।
• जहाँ आवश्यक हो, वहाँ उचित परामर्श प्रदान करना।
• बच्चे, महिलाएं और वरिष्ठ नागरिक जब पुलिस थानों में आएँ, तो उन्हें किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े और जिस काम के लिए वे पुलिस थाने आए हैं, वह शीघ्रता से पूरा हो जाए; इस पर कार्रवाई करना।
डीजीपी ने यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं कि इन सांत्वना केन्द्रों के कामकाज पर थाने के प्रभारी पुलिस निरीक्षक / पुलिस उपनिरीक्षक व्यक्तिगत ध्यान दें और यह सुनिश्चित करें कि सांत्वना केन्द्र उचित ढंग से कार्य करें। इसके अलावा, संबंधित उप-विभागीय पुलिस अधिकारी (एसडीपीओ)/सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) को निर्देश दिया गया है कि वे प्रत्येक पुलिस थाने में सांत्वना केन्द्र को सौंपी गई जिम्मेदारियों का उचित ढंग से निर्वहन की निगरानी करें। इसी प्रकार, कमिश्नरेट क्षेत्र में प्रत्येक जोन के पुलिस उपायुक्त तथा जिला स्तर पर पुलिस अधीक्षक को अपने क्षेत्राधिकार में इस कार्य का समुचित पर्यवेक्षण एवं निगरानी बनाए रखने के निर्देश दिए गए हैं। राज्य के सभी पुलिस थानों में ये सांत्वना केन्द्र शुरू होने से पुलिस और नागरिकों के बीच की दूरी कम होगी और गुजरात पुलिस बच्चों, महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों की सेवा में विशेष योगदान दे सकेगी।