स्कूलों से संभावित ड्रॉपआउट होने वाले विद्यार्थियों की पहचान के लिए शिक्षा विभाग ने लागू किया एआई आधारित अर्ली वॉर्निंग सिस्टम (ईडब्लूएस)
ईडब्लूएस के जरिये संभावित ड्रॉपआउट की आशंका वाले लगभग 1,68,000 विद्यार्थियों की पहचान की गई, जिन पर दिया जाएगा विशेष ध्यान
पहचाने गए विद्यार्थियों तथा उनके अभिभावकों को शाला प्रवेशोत्सव 2025 के दौरान आमंत्रित किया जाएगा, बच्चे की प्रगति के लिए स्कूली शिक्षा के महत्व की समझ दी जाएगी
गांधीनगर, 23 जून, 2025 : गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में श्री नरेन्द्र मोदी ने प्राथमिक विद्यालयों में प्रवेश योग्य एक भी बच्चा शिक्षा के अधिकार से वंचित न रहे; इस उद्देश्य से वर्ष वर्ष 2002-03 से शाला प्रवेशोत्सव तथा कन्या केळवणी (शिक्षा) रथयात्रा कार्यक्रम की शुरुआत कराई थी। इस कार्यक्रम के फलस्वरूप आज गुजरात के विद्यालयों में प्राथमिक शिक्षा पाने वाले विद्यार्थियों के स्कूल ड्रॉपआउट रेशियो में उल्लेखनीय कमी देखने को मिली है। वर्ष 2001-02 जहाँ कक्षा 1 से 8 में विद्यार्थियों का स्कूल ड्रॉपआउट रेशियो 37.22 प्रतिशत था, वहीं वर्ष 2023-24 में वह घटकर 2.42 प्रतिशत हो गया है।
हालाँकि; गुजरात सरकार का प्राथमिक, माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक शिक्षा के स्तर पर स्कूल ड्रॉपआउट रेशियो लगभग शून्य प्रतिशत करने का लक्ष्य है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए, मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में गुजरात सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा विद्यार्थियों में स्कूल ड्रॉपआउट को रोकने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित अर्लिंग वॉर्निंग सिस्टम (ईडब्लूएस) लागू किया गया है। यह सिस्टम स्कूल छोड़ने की संभावना वाले बच्चों की पहले से ही पहचान कर लेता है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि ऐसे बच्चों को स्कूल छोड़ने से रोका जा सके और वे अपनी शिक्षा पूर्ण करें।
गुजरात की सरकारी प्राईमरी स्कूलों (कक्षा 1 से 8) में आज लगभग 1 करोड छात्र शिक्षा ले रहे हैं , और इन छात्रों में से EWS के माध्यम से अब तक ड्रॉपआउट की आशंका वाले लगभग 1,68,000 छात्रों की पहचान की गई है। राज्य सरकार सुनिश्चित करेगी कि EWS के माध्यम से पहचाने गये ड्रॉपआउट की आशंका वाले ये 1,68,000 छात्र अपनी स्कूली शिक्षा चालू रखे। इसके लिए इन बच्चों और उनके अभिभावकों को इस वर्ष शाला प्रवेशोत्सव कार्यक्रम में आमंत्रित किया जाएगा तथा उन्हें यह समझ दी जाएगी कि बच्चे के विकास एवं प्रगति के लिए स्कूली शिक्षा पूर्ण करना कितना महत्वपूर्ण है। स्कूल ड्रोपआउट रेशियो लगभग शून्य प्रतिशत करने का लक्ष्य हासिल करने के लिए राज्य सरकार सक्रिय रूप से कार्य कर रही है।
क्या है एआई आधारित अर्ली वॉर्निंग सिस्टम (ईडब्लूएस) ?
पूर्णतः वैज्ञानिक दृष्टिकोण से युक्त एआई आधारित अर्ली वॉर्निंग सिस्टम (ईडब्लूएस) प्राथमिक विद्यालयों (कक्षा 1 से 8) में पढ़ने वाले हर विद्यार्थी के रिकॉर्ड (आयु, जाति, विकलांगता आदि), स्कूल प्रदर्शन, उपस्थिति तथा मूल्यांकन जैसे डेटा का उपयोग कर विद्यार्थी के संभावित ड्रॉपआउट की पहले से भविष्यवाणी कर देता है और ऐसा होने से रोकने के कदम उठाने के लिए अलर्ट देता है।
इस सिस्टम में अल्गोरिदम्स द्वारा डेटा के पैटर्न की पहचान कर संभावित ड्रॉपआउट लेने वाले बच्चे की पहचान की जाती है, ताकि ड्रॉपआउट की आशंका वाले विद्यार्थियों पर विशेष ध्यान देकर ड्रॉपआउट से पहले ही समय रहते कदम उठाए जा सकें। विद्यार्थियों के ड्रॉपआउट के मुख्य कारकों में स्कूल में उनकी लगातार अनुपस्थिति, स्कूली शिक्षा में कमजोर प्रदर्शन, बच्चे का स्वास्थ्य तथा शारीरिक विकलांगता, बच्चे के व्यवहार आदि शामिल हैं। इसके अतिरिक्त; विद्यार्थियों के स्कूल से संबंधित जानकारी जैसे कि, विद्यार्थी के स्कूल का प्रकार (सरकारी, अनुदानित, निजी आदि), मल्टीग्रेड क्लासरूम्स, स्कूल में इन्फ्रास्ट्रक्चर की सुविधाओं तथा विद्यार्थियों के परिवार के बारे में जानकारी जैसे कि, परिवार की आर्थिक स्थिति, परिवार का स्थानांतरण, घर में शिक्षा संबंधी विचारों व धारणाओं, परिवार में बच्चों की संख्या, जनसंख्या संबंधी जानकारी आदि का भी संभावित ड्रॉपआउट वाले बच्चे की पहचान के लिए उपयोग किया जाता है।
इस प्रकार; इस सिस्टम का उद्देश्य मुख्य सूचकांकों के आधार पर स्कूल छोड़ देने की आशंका वाले बच्चों की पहचान करना है। ऐसे बच्चों की पहचान हो जाने के बाद उनकी निश्चित आवश्यकताओं को पूर्ण करने, निवारक प्रतिभाव रणनीतियों तथा हस्तक्षेपों के माध्यम से उन्हें स्कूल में बने रहने के लिए सहयोग प्रदान किया जाएगा।
ईडब्लूएस द्वारा अब तक संभावित ड्रॉपआउट की आशंका वाले 1,68,000 विद्यार्थियों की पहचान
उल्लेखनीय है कि अब तक ईडब्लूएस द्वारा संभावित ड्रॉपआउट की आशंका वाले लगभग 1,68,000 बच्चों की पहचान की गई है। राज्य के सभी सरकारी एवं अनुदानित विद्यालयों में पढ़ने वाले और ड्रॉपआउट की आशंका वाले विद्यार्थियों की सूची सभी विद्यालयों को चाइल्ड ट्रैकिंग सिस्टम (सीटीएस) के लॉग-इन में उपलब्ध कराई गई है। इस सूची में शामिल बच्चों को स्कूल छोड़ने से रोकने के लिए शाला प्रवेशोत्सव तथा कन्या केळवणी महोत्सव 2025 के दौरान ब्लॉक रिसोर्स सेंटर (बीआरसी) को-ऑर्डिनेटर, क्लस्टर रिसोर्स सेंटर (सीआरसी) को-ऑर्डिनेटर तथा स्कूल के मुख्य शिक्षक/आचार्य एवं विद्यालय प्रबंधन समिति (एसएमएसी) के माध्यम से कार्यवाही शुरू की जाएगी। इसके अतिरिक्त; विद्यार्थियों का संभावित ड्रॉपआउट रोकने के दूरदर्शितापूर्ण कदम के रूप में आवश्यक कदम उठाने के लिए जिला स्तर से उचित आदेश, समीक्षा एवं निगरानी शुरू की जाएगी।
ईडब्लूएस द्वारा पहचाने वाले संभावित ड्रॉपआउट होने की आशंका वाले बच्चों तथा उनके अभिभावकों को आगामी शाला प्रवेशोत्सव कार्यक्रम में आमंत्रित किया जाएगा। उन्हें इसके बारे में समझ दी जाएगी कि बच्चों के विकास तथा प्रगति के लिए स्कूली शिक्षा पूर्ण करना कितना महत्वपूर्ण है। इसके अलावा; इन बच्चों के अभिभावकों को किसी भी प्रकार की नकारात्मक या लज्जाजनक भावना का अनुभव न हो; इसकी भी पूरी तरह सावधानी बरती जाएगी।
संभावित ड्रॉपआउट होने वाले विद्यार्थियों के ड्रॉपआउट संबंधी परिबलों की पहचान किए बिना उन्हें स्कूल छोड़ने से रोकने के लिए उनके अभिभावकों के साथ चर्चा कर बच्चे स्कूली शिक्षा पूर्ण करें और उनका स्कूल में स्थायीकरण सुनिश्चित हो; इस संबंध में विद्यालय प्रबंधन समिति (एसएमसी) की बैठक में चर्चा की जाएगी। जब नया शैक्षणिक वर्ष शुरू हो, तब ड्रॉपआउट की आशंका वाले बच्चे अचूक शाला प्रवेश लें और नियमित रूप से स्कूल आएँ; यह एसएमसी के माध्यम से सुनिश्चित किया जाएगा।
इस प्रकार; अर्ली वॉर्निंग सिस्टम यानी ईडब्लूएस के जरिये संभावित ड्रॉपआउट होने वाले विद्यार्थियों की पहचान करने के बाद लोक जागृति, अभिभावक संपर्क एवं सामुदायिक सहयोग से बच्चों को स्कूल छोड़ने से रोका जाएगा।