Saturday, May 17, 2025
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ग्रामीण हस्तकला और हैंडलूम कलाकारों को मिला ‘गरवी गुर्जरी’ का साथ : वर्ष 2024-25 में लगातार दूसरे वर्ष 31.47 करोड़ रुपए की रिकॉर्ड बिक्री

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गुजरात सरकार के प्रयासों से हस्तनिर्मित वस्तुओं के प्रति बढ़ा लोगों का रुझान, राज्य के 8 हजार से अधिक कारीगरों ने कमाए 20.89 करोड़ रुपए

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के मंत्र ‘विकास भी, विरासत भी’ को आगे बढ़ाती गुजरात सरकार, ‘गरवी गुर्जरी’ के जरिए देश-विदेश में पहुंचे राज्य के हस्तकला-हथकरघा उत्पाद

गांधीनगर, 01 मई : प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के मंत्र ‘विकास भी, विरासत भी’ का अनुसरण करते हुए मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में गुजरात सरकार अनेक परंपरागत सांस्कृतिक विरासतों का संरक्षण सुनिश्चित कर रही है। ऐसी ही एक विरासत है- गुजरात की भव्य और विविधतापूर्ण हथकरघा और हस्तकला की परंपरागत विरासत, जिसकी शाखा राज्य सरकार के सकारात्मक प्रयासों के चलते लगातार फल-फूल रही है।

राज्य की हस्तकला और हथकरघा को पहचान को देश और दुनिया में स्थापित करने, उसका अस्तित्व बनाए रखने और उसके विकास के मुख्य उद्देश्य के साथ कार्यरत गुजरात राज्य हथकरघा और हस्तकला विकास निगम (जीएसएचएचडीसी) गत 52 वर्षों से गुजरात की इस परंपरागत विरासत को लगातार सींच रहा है। जीएसएचएचडीसी के ‘गरवी-गुर्जरी’ एम्पोरियम के जरिए राज्य में ग्रामीण स्तर के परंपरागत कला-कारीगरी के व्यवसाय तेजी से प्रगति कर रहे हैं। ‘गरवी-गुर्जरी’ हथकरघा और हस्तकला की श्रेष्ठ कृतियों का सृजन करने वाले सुदूरवर्ती गांवों के हजारों कारीगरों के कलात्मक उत्पादों को लोगों तक पहुंचाता है और उनके उत्पादों की बिक्री में बढ़ोतरी करने का लगातार प्रयास करता है।

गरवी-गुर्जरी की रिकॉर्ड बिक्री पर नजर डालें, तो वर्ष 2023-24 में पिछले 50 वर्षों के इतिहास में सर्वाधिक यानी 25 करोड़ रुपए से अधिक के उत्पादों की बिक्री हुई थी। वहीं, इस वर्ष 2024-25 में तो गरवी गुर्जरी ने गत वर्ष के रिकॉर्ड को तोड़ते हुए लगभग 31.70 करोड़ रुपए की बिक्री का एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है।

कारीगरों के लिए वरदान बना निगम का मिशन

उल्लेखनीय है कि राज्य के लगभग 8000 से अधिक कारीगर निगम के साथ जुड़े हुए हैं। निगम ने इन कारीगरों के 20.89 करोड़ रुपए के उत्पादों की खरीदी की थी। इस प्रकार, विरासत की शाखा को सिंचित करने का निगम का मिशन कारीगरों के लिए वरदान बन गया है। निगम ने अपने राज्य और राज्य के बाहर स्थित बिक्री केंद्रों के माध्यम से कारीगरों के 14.46 करोड़ रुपए के उत्पादों की बिक्री की है। इतना ही नहीं, निगम ने कारीगरों को ओपन मार्केट सुलभ कराने के लिए राज्य और राज्य के बाहर विभिन्न स्थानों पर हर महीने मेलों और प्रदर्शनियों का प्रभावी आयोजन कर 17.24 करोड़ रुपए से अधिक के उत्पादों की बिक्री का लक्ष्य हासिल किया है।

इस ऐतिहासिक उपलब्धि के बारे में निगम के प्रबंध निदेशक डॉ. प्रशांत जिलोवा ने कहा कि, “हमें इस महत्वपूर्ण मील का पत्थर हासिल करने पर बहुत अधिक गर्व है। यह हमारी टीम के समर्पण और कड़ी मेहनत, सरकार की निरंतर सहायता और हमारी कारीगरों की बेजोड़ कारीगरी का प्रमाण है। आज जब हम इस शानदार सफलता का जश्न मना रहे हैं, तब हम स्थानीय कारीगरों को सशक्त बनाने और टिकाऊ आजीविका में वृद्धि के साथ-साथ गुजरात की समृद्ध हथकरघा और हस्तकला विरासत को संरक्षित करने के हमारे मिशन के प्रति प्रतिबद्ध हैं।”

विरासत के संरक्षण में राज्य सरकार का पूर्ण सहयोग

जीएसएचएचडीसी राज्य की परंपरागत विरासत के संरक्षण के साथ ही राष्ट्र और राष्ट्रीय एकता के प्रति समर्पण भाव भी रखती है। सरकारी खरीदारों द्वारा दिया जाने वाला अमूल्य समर्थन बिक्री को एक नई ऊंचाइयों पर ले जाने का अहम जरिया बन रहा है। सरकार ने ‘वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट – ओडीओपी’ और ‘वोकल फॉर लोकल’ जैसी पहलों के माध्यम से परंपरागत हस्तकला को संरक्षित करने, महत्वपूर्ण पहचान स्थापित करने और हैंडलूम उत्पादों को प्रोत्साहन देकर बाजार उपस्थिति को उल्लेखनीय रूप से बढ़ाया है। इसके अलावा, निगम द्वारा स्वर्णिम संकुल-1, गुजरात स्टेट इलेक्ट्रॉनिक मिशन (जीएसईएम), गुजरात मेडिकल सर्विस कॉर्पोरेशन (जीएमएससीएल), कमिश्नर हायर एजुकेशन ऑफ गुजरात के कार्यालयों में गुजरात की हथकरघा और हस्तकला की विभिन्न कलाकृतियों से साज-सज्जा का काम भी किया गया है। उल्लेखनीय है कि गुजरात राज्य की हस्तकला की विरासत घरचोळा कला को भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग मिला है। निगम के गरवी गुर्जरी के बिक्री केंद्रों में घरचोळा की बड़ी मात्रा में बिक्री हो रही है।

गरवी गुर्जरी नए शोरूम और प्रदर्शनियों के जरिए राज्य की हस्तकला-हथकरघा को दे रहा है प्रोत्साहन

राज्य की हस्तकला और हथकरघा को और अधिक बढ़ावा देने के लिए निगम ने भुज स्थित स्मृति वन, गांधीनगर स्थित दांडी कुटीर, नडाबेट, लींबड़ी स्थित शाळघर चोरणिया और साळंगपुर में गरवी गुर्जरी के नए शोरूम खोले हैं। इसके साथ ही, गरवी गुर्जरी ने इस वर्ष विभिन्न स्थानों पर प्रदर्शनियों का आयोजन कर देशभर के खरीदारों को उत्कृष्ट अनुभव प्रदान किया है। इस वर्ष गुजरात के अलावा मुंबई, पुणे, दिल्ली, कोलकाता, लखनऊ, अमृतसर, फरीदाबाद (हरियाणा), मैसूर और चंडीगढ़ जैसे महत्वपूर्ण शहरों में सबसे अधिक प्रदर्शनियां लगाई गईं।

कारीगरों को प्रशिक्षण, नवीन डिजाइन

उल्लेखनीय है कि कारीगरों के सशक्तिकरण और उत्पाद की गुणवत्ता बढ़ाने में कौशल विकास के महत्व को पहचानते हुए, गरवी गुर्जरी ने डिजाइन प्रशिक्षण के लिए राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईएफटी-निफ्ट) के साथ एमओयू किया है। इसके अतिरिक्त, राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान (एनआईडी) द्वारा कौशल प्रशिक्षण वर्कशॉप का आयोजन और निफ्ट द्वारा प्रशिक्षित मास्टर कारीगरों ने प्रशिक्षण की गुणवत्ता में सुधार किया है। इन पहलों ने कारीगरों को उच्च गुणवत्ता के हैंडलूम उत्पाद बनाने के लिए आवश्यक कौशल और ज्ञान से सुसज्जित किया है, जो ग्राहकों की बढ़ती जरूरतों को पूरा करते हैं।

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