राम नवमी के पवित्र दिन से शुरू होने वाला यह परंपरागत मेला पांच दिनों तक चलता है
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना को साकार करता है गुजरात का माधवपुर घेड मेला
यह मेला गुजरात आने वाले पर्यटकों के लिए राज्य की जीवंत संस्कृति, परंपरागत रिवाजों और धार्मिक अनुष्ठानों का अनुभव करने का एक बेहतरीन अवसर है
गांधीनगर, 03 अप्रैल : माधवपुर गुजरात के ऐतिहासिक शहर पोरबंदर में स्थित एक छोटा सा गांव है, जहां माधवपुर घेड मेला आयोजित किया जाता है। यह परंपरागत मेला हर साल राम नवमी के पवित्र दिन से शुरू होता है और पांच दिनों तक चलता है। माधवपुर घेड मेला प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना को साकार करता है, क्योंकि यह मेला एक ऐसा सांस्कृतिक कार्यक्रम है, जहां पूर्वोत्तर और पश्चिम भारत की संस्कृतियों का संगम होता है।
उल्लेखनीय है कि माधवपुर घेड मेला भगवान श्री कृष्ण और रुक्मिणीजी के विवाह का उत्सव है, और कहा जाता है कि उनका विवाह माधवपुर गांव में हुआ था। यह मेला गुजरात आने वाले पर्यटकों के लिए राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत तथा धार्मिक परंपराओं का अनुभव करने का एक बेहतरीन अवसर है।
गुजरात और अरुणाचल प्रदेश के बीच है दिलचस्प सांस्कृतिक संबंध
माधवपुर मेले का अरुणाचल प्रदेश की मिश्मी जनजाति के साथ रोचक संबंध है। लोककथाओं के अनुसार, मिश्मी जनजाति का वंश महान राजा भीष्मक के साथ जुड़ा हुआ है, जो रुक्मिणीजी के पिता और भगवान श्री कृष्ण के ससुर थे। यह उत्सव भगवान श्री कृष्ण के साथ रुक्मिणीजी के दिव्य विवाह की याद ताजा करता है।
अरुणाचल प्रदेश की रुक्मिणीजी और पश्चिम भारत के तटीय क्षेत्र द्वारका में विराजमान द्वारकाधीश श्री कृष्ण के बीच हुए विवाह का उत्सव मनाने वाला माधवपुर मेला पूर्वोत्तर और पश्चिम भारत की संस्कृति का अनूठा संगम है। इस मेले के दौरान गुजरात और पूर्वोत्तर राज्यों के कलाकारों द्वारा विभिन्न प्रकार के संगीत, नृत्य और नाट्य कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। पूर्वोत्तर राज्यों के कलाकार ढोल, पेपा और बांसुरी जैसे वाद्ययंत्रों के साथ अपना परंपरागत संगीत प्रस्तुत करते हैं, जबकि पश्चिमी राज्य गुजरात के कलाकार गरबा, डांडिया और रास जैसे लोकनृत्यों की प्रस्तुति देते हैं।
इस पांच दिवसीय मेले के दौरान गुजरात और पूर्वोत्तर राज्यों की हस्तकला और व्यंजनों की प्रदर्शनी भी लगाई जाती है, जो इस मेले को दोनों संस्कृतियों का सच्चा संगम स्थान बनाती है। यह मेला न केवल भगवान श्री कृष्ण और रुक्मिणीजी के विवाह का उत्सव मनाता है, बल्कि यह भारत के विभिन्न राज्यों और संस्कृतियों के लोगों के बीच एकता और भाईचारे की भावना को भी बढ़ावा देता है।
भगवान श्री कृष्ण और रुक्मिणीजी का विवाह
माधवपुर स्थित माधवरायजी मंदिर का निर्माण 15वीं शताब्दी में हुआ था और इसका भगवान श्री कृष्ण और रुक्मिणीजी के विवाह को लेकर ऐतिहासिक महत्व है। लोककथा के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण रुक्मिणीजी को अरुणाचल प्रदेश से लेकर माधवपुर गांव आए थे और यहीं उनके साथ विवाह किया था। इस घटना की याद में माधवरायजी का मंदिर बनाया गया है। इस विवाह की याद में हर साल माधवपुर में सांस्कृतिक मेले के रूप में पांच दिनों का उत्सव मनाया जाता है।
श्री कृष्ण और रुक्मिणीजी के विवाह के अलावा दूसरी अनेक घटनाओं को शामिल करते हुए माधवपुर और उसके आसपास के गांव के लोग परंपरागत रूप से उत्सव मनाते हैं। विभिन्न प्रकार के धार्मिक कार्यक्रमों में ‘फुलेका यात्रा’ (विवाह शोभायात्रा) भी शामिल है, जो माधवरायजी मंदिर से ब्रह्मकुंड तक निकाली जाती है। विवाह का कार्यक्रम दूसरे दिन से शुरू होता है, जो माधवरायजी मंदिर से लेकर विवाह मंडप तक जारी रहता है। यह उत्सव देर रात तक मनाया जाता है।
माधवपुर घेड मेला हर साल चैत्र महीने यानी मार्च-अप्रैल महीने के दौरान आयोजित किया जाता है। इस मेले के दौरान कलाकारों द्वारा भगवान श्री कृष्ण के विवाह का मंचन किया जाता है।
इस मेले में, गुजरात के राज्यपाल और मुख्यमंत्री के अलावा भारत सरकार के संस्कृति और पर्यटन विभाग के मंत्री, गुजरात पर्यटन विभाग के मंत्री और राज्य सरकार के अन्य उच्चाधिकारी उपस्थित रहते हैं। पूर्वोत्तर राज्यों के राज्यपाल और मुख्यमंत्री भी इस मेले में शरीक होते हैं।
माधवपुर मेले के साथ-साथ पोरबंदर और गिर सोमनाथ के पर्यटन स्थलों का लुत्फ उठा सकते हैं सैलानी
माधवपुर मेले में आयोजित होने वाली सांस्कृतिक गतिविधियों के अलावा, पर्यटक इस क्षेत्र के प्राकृतिक सौंदर्य का भी आनंद उठा सकते हैं। माधवपुर गुजरात के पोरबंदर जिले में स्थित है, जो अपने रमणीय समुद्र तट और ऐतिहासिक स्थलों के लिए जाना जाता है। माधवपुर मेला देखने आने वाले पर्यटक पोरबंदर और गिर सोमनाथ जिले के निकट स्थित पर्यटन स्थलों की यात्रा कर सकते हैं।
माधवपुर मेले में बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, सभी पर्यटकों के लिए कुछ न कुछ खास है। यह मेला गुजरात की जीवंत संस्कृति का अनुभव करने के साथ ही राज्य के परंपरागत रीति-रिवाजों और धार्मिक अनुष्ठानों आदि का आनंद उठाने का एक बेहतरीन अवसर है, जो इसे गुजरात की यात्रा करने वाले पर्यटकों के लिए एक आकर्षक पर्यटन स्थल बनाता है।