राज्य सरकार ने रैन बसेरों के लिए 435.68 करोड़ रुपए मंजूर किए, रैन बसेरों में रोजाना 10 हजार लोग लेते हैं आसरा
अहमदाबाद सहित राज्य के 38 शहरों में संचालित हैं रैन बसेरे
गांधीनगर, 28 मार्च : प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने हमेशा बेघर गरीबों की चिंता की है और यह सुनिश्चित किया है कि विभिन्न योजनाओं का लाभ अंतिम छोर के लोगों तक पहुंचे। इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व वाली गुजरात सरकार ने शहरों में मजदूरी के लिए आने वाले या शहरों के फुटपाथ पर ही सोने वाले बेघर लोगों को सिर पर छत मुहैया कराने के लिए रैन बसेरे तैयार किए हैं। वर्तमान में राज्य के 38 शहरों में 116 रैन बसेरे संचालित हैं, जिनमें रोजाना लगभग 10,000 बेघर लोगों को आसरा दिया जा रहा है।
रैन बसेरों में 21,426 लोगों के रहने की क्षमता
राज्य सरकार ने बेघर शहरीजनों को आश्रय देने के लिए अब तक राज्य के 38 शहरों में कुल 120 रैन बसेरों (शेल्टर होम) के निर्माण को मंजूरी दी है। राज्य सरकार ने इन 120 रैन बसेरों के लिए कुल 435.68 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं, जिनमें से 219 करोड़ रुपए संबंधित महानगर पालिकाओं तथा नगर पालिकाओं को आवंटित किए जा चुके हैं। इन रैन बसेरों में 21,426 लोगों के रहने की क्षमता है।
स्वीकृत किए गए 120 रैन बसेरों में से 87 कार्यरत हो चुके हैं, जबकि बाकी निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं। इसके अलावा, संबंधित महानगर पालिकाओं और नगर पालिकाओं में ‘दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन’ (डीएवाई-एनयूएलएम) के अंतर्गत जब तक रैन बसेरे उपलब्ध न हों, तब तक कुल 29 अस्थायी रैन बसेरे संचालित किए गए हैं। इस प्रकार, वर्तमान में राज्य के कुल 38 शहरों में 116 रैन बसेरे संचालित हैं और यहां रोजाना लगभग 10,000 बेघर लोग आश्रय लेते हैं।
राज्य में डीएवाई-एनयूएलएम के अंतर्गत स्थायी रूप से संचालित कुल 87 रैन बसेरे सभी प्रकार की बुनियादी सुविधाओं से सुसज्जित हैं। इन रैन बसेरों में रसोई घर और डाइनिंग की व्यवस्था की गई है। इन रैन बसेरों में आने वाले आश्रितों को स्वैच्छिक संस्थाओं की ओर से एक समय का भोजन (अधिकतर रात्रि के समय) निःशुल्क प्रदान किया जाता है।
राज्य और केंद्र सरकार मिलकर देती हैं बेघरों को आश्रय
उल्लेखनीय है कि अहमदाबाद सहित राज्य के बड़े और छोटे शहरों में गांवों सहित दूरदराज के इलाकों से लोग रोजगार या मजदूरी के लिए आते हैं और उनमें से अनेक लोग बेघर होते हैं। वे फुटपाथ या अन्य सार्वजनिक स्थानों पर रात बिताते हैं। ऐसे बेघर लोगों को आश्रय देने के लिए ही राज्य सरकार, केंद्र सरकार के साथ मिलकर ‘दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन’ (डीएवाई-एनयूएलएम) के अंतर्गत बेघर लोगों को आश्रय प्रदान करने का भगीरथ कार्य कर रही है।

केंद्र सरकार के आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा ‘स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना’ को पुनर्गठित कर इसे ‘दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन’ (डीएवाई-एनयूएलएम) के रूप में लागू किया गया है। गुजरात में इस मिशन को ‘गुजरात शहरी आजीविका मिशन’ (जीयूएलएम) द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है। डीएवाई-एनयूएलएम के विभिन्न घटकों में से ‘शहरी बेघरों के लिए आश्रय स्थान’ (शेल्टर फॉर अर्बन होमलेस- एसयूएच) घटक को जीयूएलएम द्वारा राज्य की सभी महानगर पालिकाओं तथा ‘अ’ श्रेणी की और जिलों के मुख्यालय वाली 30 नगर पालिकाओं सहित कुल 38 शहरों में कार्यान्वित किया जा रहा है।
एसयूएच घटक का मुख्य उद्देश्य शहरी क्षेत्र के सबसे गरीब बेघर लोगों को स्थायी यानी 24X7 आश्रय और सभी प्रकार की आवश्यक बुनियादी सेवाएं प्रदान करना है। इसके अंतर्गत प्रत्येक एक लाख की शहरी आबादी पर कम से कम 100 लोगों के लिए शेल्टर होम की व्यवस्था की जाती है।
कोई भी बेघर व्यक्ति ले सकता है रैन बसेरे में आश्रय
राज्य में स्थित रैन बसेरों में कोई भी बेघर व्यक्ति आसरा ले सकता है। लाभार्थी व्यक्ति को पहले अपने क्षेत्र के रैन बसेरे में जाकर पंजीकरण करवाना होगा और उसके बाद वह रैन बसेरे में रात गुजार सकता है। रैन बसेरे में ठहरने की कोई समय सीमा नहीं है। कोई भी लाभार्थी व्यक्ति जितने दिन चाहे, वहां रह सकता है। रैन बसेरे में सेवा प्रदान करने वाली संबंधित स्वैच्छित संस्था लाभार्थियों का पंजीकरण करती हैं और उन्हें वहां ठहरने की मंजूरी देती है। इसके अलावा, रैन बसेरे में आने वाले लोगों के लिए ठहरने के साथ-साथ एक समय के भोजन (अधिकतर रात्रि का) की भी व्यवस्था होती है।
रैन बसेरों में उपलब्ध हैं घर जैसी ये महत्वपूर्ण सुविधाएं
राज्य सरकार द्वारा शहरी बेघर गरीबों के लिए बनाए जाने वाले शेल्टर होम यानी रैन बसेरे ऐसे होते हैं, जहां आश्रय लेने वाले व्यक्ति को घर जैसा वातावरण मिलता है। इन रैन बसेरों में प्रदान की जाने वाली आवश्यक सुविधाओं में खुले हवादार कमरे, शुद्ध पेयजल की व्यवस्था, स्नान और शौचालय की पर्याप्त सुविधा, समुचित प्रकाश व्यवस्था, आग से बचाव की पर्याप्त व्यवस्था, प्राथमिक उपचार किट, गद्दे, कम्बल और चादरों के साथ उनकी नियमित सफाई की व्यवस्था, दीमक और मच्छरों से बचाव की पर्याप्त व्यवस्था, रसोई बनाने का स्थान, रसोई बनाने और परोसने के लिए आवश्यक बर्तन और रसोई गैस कनेक्शन, सरकारी योजनाओं का लाभ उपलब्ध कराने की व्यवस्था तथा आश्रितों के बच्चों को नजदीकी आंगनबाड़ी केंद्रों के साथ जोड़कर उनकी देखभाल की व्यवस्था शामिल है।
इसके अलावा, एसयूएच घटक के दिशानिर्देशों के प्रावधानों के अनुसार सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों का कन्वर्जेंस कर रैन बसेरों में रहने वाले बेघर लोगों को सामाजिक सुरक्षा, भोजन, शिक्षा और स्वास्थ्य आदि योजनाओं के अधिकारों का लाभ उठाने में मदद करने के लिए संबंधित विभाग या कार्यालय के साथ समन्वय किया जाता है।
किन शहरों में कितने रैन बसेरे
राज्य के जिन 38 शहरों में रैन बसेरे तैयार किए गए हैं, उनमें से सर्वाधिक 32 रैन बसेरे अहमदाबाद महानगर में हैं। इसके बाद सूरत में 7, भावनगर और राजकोट में 6-6, वडोदरा में 5, जूनागढ़ में 4 तथा जामनगर और पालनपुर में 2-2 रैन बसेरे स्थापित किए गए हैं। इसके अलावा, खंभाळिया, सुरेन्द्रनगर, लुणावाड़ा, राजपीपला, मोडासा, मोरबी, नडियाद, नवसारी, जेतपुर, आणंद, अमरेली, भरूच, बोटाद, छोटा उदेपुर, डीसा, पाटण, गांधीनगर, गोधरा, गोंडल, हिम्मतनगर, वलसाड, वापी और व्यारा में 1-1 रैन बसेरे संचालित हैं।