Wednesday, March 19, 2025
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‘ईश धाम’ पहुँचे ईश : ‘काश ! सुषमा होतीं, तो मैं उनके पास जाने से बच जाता !’

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रिपोर्ट : कन्हैया कोष्टी

अहमदाबाद, 18 मई, 2021 (बीबीएन)। पॉलैण्ड (POLAND) में एक प्रवासी भारतीय (NRI) का आख़िर वही अंजाम हुआ, जो पॉलैण्ड के क़ानून ने तय किया था। 47 वर्षीय ईश महाजन नामक एनआरआई ने हॉस्पाइस (Hospice) में गत 14 मई को दम तोड़ दिया।

हॉस्पाइस वह स्थान होता है, जहाँ किसी व्यक्ति को बलात् मृत्यु (ज़बरन मौत) के लिए ही भर्ती किया जाता है। हॉस्पाइस में जाने वाले व्यक्ति को किसी भी प्रकार की चिकित्सा आदि नहीं दी जाती और उसे पीड़ा रहित मृत्यु की प्रतीक्षा करने के लिए छोड़ दिया जाता है।

मूलत: दिल्ली-भारत निवासी ईश महाजन के माता-पिता अनूप एवं विनोद महाजन ने अपने पुत्र ईश को पॉलैण्ड से भारत लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, विदेश मंत्री एस. जयशंकर, भारत स्थित पॉलैण्ड एवं पॉलैण्ड स्थित भारतीय दूतावास सहित हर स्तर के व्यक्तियों और प्राधिकारियों से गुहार लगाई, परंतु अब जब ईश का बलात् मृत्यु ने वरण कर लिया, तब ईश के माता-पिता के मन में एक ही टीश उभर रही है, “काश ! आज सुषमा स्वराज जीवित होतीं, तो हमारा ईश इस प्रकार बलात् मृत्यु का शिकार न हुआ होता। सुषमा हमारी संवेदना अवश्य समझतीं और हमारा बेटा न केवल भारत आ जाता, अपितु उपचार मिलने के बाद स्वस्थ भी हो जाता। उसे अकाल एवं बलात् मृत्यु का भोग नहीं बनना पड़ता।”

जैसा कि हम सब जानते हैं कि मोदी सरकार में 2014 से 2019 के दौरान सुषमा स्वराज ने विदेश मंत्री के रूप में कूटनीतिक स्तर पर तो भारत के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए ही थे, परंतु साथ ही वे विदेशों में बसे एनआरआई की सहायता करने को लेकर भी काफ़ी चर्चा में रही थीं।

मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में सुषमा स्वराज मंत्रिमंडल में शामिल नहीं थीं और उसके बाद तो 6 अगस्त, 2019 को उनका असामयिक निधन ही हो गया। मोदी पर दूसरे कार्यकाल में भी सुषमा को विदेश मंत्री का पद देने का भारी जन दबाव था, परंतु चूँकि सुषमा ने लोकसभा चुनाव 2019 में भाग लेने से ही इनकार कर दिया था, तो मोदी ने भी किन्हीं कारणों से उन्हें मंत्रिमंडल में विदेश मंत्री नहीं बनाया।

वर्तमान में विदेश मंत्री एस. जयशंकर भी कूटनीति के प्रखर जानकार हैं और पूर्व विदेश सेवा अधिकारी हैं, परंतु ईश के माता-पिता को लगता है कि सुषमा जैसी संवेदनशील विदेश मंत्री होतीं, तो उनका बेटा आज जीवित होता।

क्या है ईश महाजन की पूरी कहानी ?

ईश महाजन ने पॉलैण्ड की युवती के साथ प्रेम विवाह किया था, परंतु पिछले काफ़ी समय से दोनों अलग-अलग रहते थे। ईश के माता-पिता का आरोप है कि ईश की पत्नी ने ही पति को मरने के लिए छोड़ दिया है। उसी ने ईश को हॉस्पाइस भेजा। ईश के माता-पिता अनूप महाजन तथा विनोद महाजन का कहना है कि ईश को हॉस्पाइस से निकालने तथा अच्छे अस्पताल में भर्ती कराने के लिए उसकी पत्नी की अनुमित आवश्यक थी, क्योंकि पॉलैण्ड के क़ानून के अनुसार पति पर पहला अधिकार पत्नी का है, परंतु ईश की पत्नी ईश को हॉस्पाइस से निकाल कर अच्छे अस्पताल में भर्ती करवाने को तैयार नहीं हुई।

पॉलैण्ड के क़ानून के शिकंजे में फँसे पुत्र ईश को बचाने के लिए माता अनूप ने पॉलैण्ड की कोर्ट में बहू के विरुद्ध केस दाख़िल किया था। साथ ही उन्होंने पॉलैण्ड के विदेश मंत्रालय का दरवाज़ा भी खटखटाया था। अनूप महाजन का कहना है कि भारतीय विदेश मंत्रालय भी विशेष रुचि लेता, तो उनके युवा पुत्र को बचा कर नया जीवन दिया जा सकता था।

ईश की माँ ने लगाई थी गुहार

ईश महाजन
इससे पूर्व ईश की माता अनूप महाजन ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इस संबंध में एक पत्र लिखा और कहा था, “पॉलैण्ड में रह रहा हमारा बेटा ईश महाजन ट्यूमर पीड़ित है। जीवन और मृत्यु के बीच झूल रहे ईश को भारत लाया जाए और सरकार इसमें सहयोग करे। ईश ने पॉलैण्ड के क्रकाउ (Kraków) में ब्रेन सर्जरी कराई थी। हम उसके उपचार में सहायता के लिए हम संघर्ष कर रहे हैं। हमने ईश को मेडिकल रिबेलिलिटेशन फैसिलिटी (Medical rehabilitation facility) में भेजने का आग्रह किया है। वहाँ का सारा ख़र्च उठाने का दायित्व भी लिया है। इसके बावजूद उसे हॉस्पाइस (Hospice) में भेज दिया गया है।’
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