Monday, June 23, 2025
HomeBBN-EXCLUSIVEइतना ‘गिर’ गए गुहा ! ‘गिरिधर-गांधी’ का गुजरात सांस्कृतिक रूप से पिछड़ा...

इतना ‘गिर’ गए गुहा ! ‘गिरिधर-गांधी’ का गुजरात सांस्कृतिक रूप से पिछड़ा राज्य है ?

Share:

‘रामचंद्र’ की ‘गुहा’ में मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने लगाया ‘ढक्कन’

त्वरित टिप्पणी : कन्हैया कोष्टी
अहमदाबाद (11 जून, 2020)। प्रसिद्ध इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने आज जिस प्रकार गुजरात को छेड़ा, उससे स्पष्ट हो गया है कि गुहा केवल और केवल इतिहासकार हैं, वह भी ‘अधजल गगरी छलकत जाय…’ की श्रेणी वाले इतिहासकार हैं। हम ऐसा इसलिए कहने पर विवश हुए हैं, क्योंकि रामचंद्र गुहा ने अपनी कुंठित मानसिकता की सारी सीमाएँ आज तोड़ दीं।
महान, भव्य एवं दिव्य भारत में जन्म लेने वाला कोई भी शुद्ध भारतीय जब भारत के विषय में सोचता है, तो वह उसकी विचारधारा का दायरा सतयुग के मनु, त्रेतायुग के राम, द्वापर युग के गिरधर गोपाल और कलियुग के महात्मा गांधी तक विस्तृत होता है।
यही कारण है कि हर भारतीय को अपने इन पूर्वजों और उनकी जन्मभूमि-कर्मभूमि पर गर्व होता है, परंतु लगता है इतिहासकार रामचंद्र गुहा मुग़लों और अंग्रेज़ों से पूर्व के भारतीय इतिहास को नहीं जानते। अन्यथा वे मोहन यानी भगवान कृष्ण की कर्मभूमि तथा मोहनदास करमचंद गांधी की जन्मभूमि गुजरात को सांस्कृतिक रूप से पिछड़ा राज्य बताने का मूर्खतापूर्ण कार्य नहीं करते।

इतिहास से पीछे का ‘इतिहास’ नहीं जानते गुहा ?

जी हाँ ! भारत के इतिहास को तोड़-मरोड़ कर तथा पिछले 2000 वर्षों के इतिहास को ही प्रस्तुत करने के आदी कुछ इतिहासकारों ने सदा भारत की महान संस्कृति एवं सांस्कृतिक विरासत तथा धरोहरों की न केवल अवगणना की, अपितु उनका अपमान भी किया और इसी क्रम में रामचंद्र गुहा ने आज एक और कड़ी जोड़ दी।
भारतीय स्वतंत्रता के बाद अर्थात् 1958 में जन्मे रामचंद्र गुहा ने आज फिर एक बार न केवल महान भारत की सांस्कृतिक एकता पर प्रहार किया, वरन् दो राज्यों के बीच वैसमनष्य को जन्म देने का भी प्रयास किया। और यह जान कर माथा लज्जा से झुक जाता है कि रामचंद्र गुहा ने अपनी गुजरात विरोधी मानसिकता को उजागर करने के लिए एक ब्रिटिश लेखक की टिप्पणी का सहारा लिया।

गुजरात विरोधी मानसिकता से मुक्त नहीं हुए गुहा

वास्तव में रामचंद्र गुहा ने आज एक ट्वीट किया। इस ट्वीट से स्पष्ट संकेत मिला कि नर्मदा बांध एवं गुजरात विरोधी मानसिकता से पीड़ित गुहा आज भी उस मानसिकता से मुक्त नहीं हुए हैं। रामचंद्र गुहा ने इस ट्वीट में उन्होंने ब्रिटिश लेखक फिलिल स्प्राट की 1939 में की गई टिप्पणी का हवाला देते हुए कहा, ‘यद्यपि गुजरात आर्थिक रूप से अत्यंत आगे हैं, परंतु सांस्कृतिक रूप से एक पिछड़ा राज्य है, जबकि इसके विपरीत बंगाल आर्थिक रूप से अत्यंत दुर्बल है, परंतु सांस्कृतिक रूप से अत्यंत उन्नत है।’
हम सभी जानते हैं कि देश में जब से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार आई है, तब से वामपंथी विचारधारा से प्रभावित एक विशेष वर्ग सक्रिय रहा है और वह निरंतर मोदी, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा-BJP) पर निशाना साधता रहा है।
इस वर्ग विशेष को ‘टुकड़े-टुकड़े’ गैंग भी कहा जाता है और रामचंद्र गुहा ने आज एक ब्रिटिश लेखक की टिप्पणी को आधार बना कर मोदी, भाजपा एवं गुजरात को सीधा टार्गेट किया, तो गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी से रहा नहीं गया। रूपाणी ने भी रामचंद्र की ‘गुहा’ पर ज़ोरदार जवाबी ट्वीट कर पट्टी लगा दी।

आगबबूला रूपाणी ने दिया क़रारा जवाब

रूपाणी ने गुहा के ट्वीट पर आक्रोशपूर्ण प्रतिक्रिया देते हुए गुहा को लगभग ‘टुकड़े-टुकड़े’ गैंग का सदस्य ही क़रार दिया। रूपाणी ने अपने ट्वीट में कहा, ‘पूर्व में अंग्रेज़ थे, जो फूट डाल कर राज्य करना चाहते थे। अब यह Elites (बुद्धिजीवियों) का ग्रुप है, जो भारतीयों को बाँटना चाहता है। भारतीयों को इनकी चालों में नहीं फँसना चाहिए। गुजरात महान है, बंगाल महान है.. भारत एकजुट है। हमारी सांस्कृतिक आधारशिला सुदृढ़ है और हमारी आर्थिक महत्वाकांक्षाएँ बहुत अधिक हैं।’

Earlier it was the British who tried to divide and rule. Now it is a group of elites who want to divide Indians.

Indians won’t fall for such tricks.

Gujarat is great, Bengal is great…India is united.

Our cultural foundations are strong, our economic aspirations are high. https://twitter.com/ram_guha/status/1270907568022450177 

8,604 people are talking about this

रामचंद्र गुहा ने की ओछी हरक़त

गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने तो रामचंद्र गुहा को धाराप्रवाह उत्तर दिया ही, परंतु भव्य भारत न्यूज़ (BBN) भी रामचंद्र गुहा की टिप्पणी को लेकर अत्यंत आक्रोशित है। हमें तो गुहा के ज्ञान पर ही लज्जा आती है।
जिस गुजरात में भगवान कृष्ण ने द्वारका जैसी नगरी बना कर उसे अपनी कर्मभूमि बनाया हो, जिस गुजरात में देवी अम्बिका की आराधना के लिए विश्व का सबसे लंबा सांस्कृतिक नृत्योत्सव रास-गरबा होता हो, जिस गुजरात में आदिकवि नरसिंह मेहता से लेकर जलाराम बापा जैसे महान संतों ने अवतार लिया हो, जिस गुजरात में महात्मा गांधी ने जन्म लिया हो और अहमदाबाद स्थित साबरमती नदी के तट पर आश्रम बना कर गुजरात को कर्मभूमि बनाया हो, जिस भूमि पर लौह पुरुष सरदार वल्ललभभाई पटेल ने जन्म लिया हो…. वह गुजरात यदि रामचंद्र गुहा को सांस्कृतिक रूप से पिछड़ा राज्य लगता है, तो निश्चित रूप से गुहा को अपनी मानसिक स्थिति की जाँच करानी चाहिए।
रामचंद्र गुहा इतना भी नहीं जानते कि गुजरात तथा बंगाल एक ही भारत माता की संतानें हैं। गुजरात में जहाँ लाखों बंगाली समुदाय के लोग रोज़ी-रोटी कमाते हैं, सौहार्द एवं सद्भाव के साथ दुर्गा पूजा उत्सव मनाते हैं, वहीं बंगाल में गुजराती कारोबारियों का बोलबाला है।

गुजरात-बंगाल दोनों ही शक्ति के उपासकगुहा के ‘ज्ञान’ पर आ रहा तरस

गुजरात एवं बंगाल के बीच सबसे बड़ी सांस्कृतिक एकता तो यही है कि दोनों ही राज्य दुर्गा के ही अलग-अलग नौ अवतारों की पूजा एवं आराधना करते हैं। गुजरात जहाँ नवरात्रि महोत्सव में माता अम्बा की आराधना करता है, वहीं उसी नवरात्रि में बंगाली माता अम्बा के ही अन्य रूप दुर्गा तथा काली की पूजा करते हैं। फिर रामचंद्र गुहा को गुजरात सांस्कृतिक रूप से पिछड़ा कैसे और कहाँ से लगा ?
वास्तव में रामचंद्र गुहा कुंठित मानसिकता का शिकार हैं। गुहा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नीतियों के भी आलोचक रहे हैं, तो इस इतिहासकार का गुजरात विरोधी इतिहास भी रहा है, जब उन्होंने गुजरात की जीवन डोर समान नर्मदा बांध परियोजना के विरुद्ध चल रहे नर्मदा बचाओ आंदोलन का समर्थन किया था। आज वर्षों बाद रामचंद्र गुहा के मन में बैठा गुजरात विरोधी कीड़ा फिर कुलबुला उठा और इसके लिए उन्होंने एक ब्रिटिश लेखक की टिप्पणी का सहारा लिया। हम सोच भी नहीं सकते थे कि गुहा इतना गिर सकते हैं।
Bhavy Bhaarat News
Bhavy Bhaarat News
भव्य भारत न्यूज़’ प्राचीतनम् भारत के महान वैभव एवं गौरव को आधुनिकतम् युग में जन-जन तक पहुँचाने का महायज्ञ, महाप्रयोग, महाप्रयास तथा महाभियान है। ‘भव्य भारत न्यूज़’ की ‘राष्ट्र – धर्म सर्वोपरि’ की मूल भावना में ‘विश्व कल्याण’ की विराट भावना भी समाहित है। इस मंच से हम ‘भारत’ को ‘भारत’ के ‘अर्थ’ से अवगत कराने का सकारात्मक, सारगर्भित एवं स्वानुभूत प्रयास करेंगे। ‘राष्ट्र सर्वोपरि’ तथा राष्ट्र को ही परम् धर्म के रूप में स्वीकार करते हुए कोटि-कोटि भारतवासियों व भारतवंशियों तक आधुनिक विज्ञान के माध्यम से प्राचीनतम्, परंतु आधुनिक-वैज्ञानिक व अनुभूतिपूर्ण ज्ञान परंपरा का जन-जन में प्रचार-प्रसार करना ही हमारा उद्देश्य है।
RELATED ARTICLES

Recent Post

Categories

Stay Connected

Popular Searches