गुजरात सरकार मिशन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस 2.0 के अंतर्गत राज्य के ग्रांट इन एड माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्कूलों को ढांचागत सुविधाएं सुदृढ़ करने के लिए देगी आर्थिक सहायता
अपेक्षित क्लासरूम के निर्माण, विशिष्ट कक्षों के निर्माण, नए टॉयलेट ब्लॉक्स, पेयजल सुविधा और दिव्यांग छात्रों के लिए जरूरी सुगम्य सुविधाएं विकसित करने के लिए 80:20 के अनुपात में दी जाएगी सहायता
शैक्षणिक वर्ष 2025-26 से पांच वर्ष के लिए होगा लागू
मिशन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस 2.0 के तहत ग्रांट इन एड माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्कूलों को छात्रों की संख्या के आधार पर 10 लाख से लेकर 1.50 करोड़ रुपए तक की आर्थिक सहायता मिलेगी
गांधीनगर, 07 अगस्त : गुजरात सरकार मिशन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस 2.0 के अंतर्गत चयनित राज्य के ग्रांट इन एड माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्कूलों को ढांचागत सुविधाएं सुदृढ़ करने के लिए सहायता प्रदान करेगी।
यह सहायता गुजरात माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षण बोर्ड से संबद्ध और शिक्षा विभाग के अंतर्गत ऐसे ग्रांट इन एड सेकेंडरी और हायर सेकेंडरी स्कूलों को 80:20 के अनुपात में दी जाएगी।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश में लागू की गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुसार प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमिकरण के बाद यह सुनिश्चित करने की सिफारिशें की गई हैं कि छात्र माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा पूरी करें।
राज्य सरकार द्वारा इस संदर्भ में स्कूली शिक्षा में गुणवत्तापूर्ण परिवर्तन विशेषकर, मिशन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस के तहत प्राथमिक, माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा में आमूल-चूल परिवर्तन किया जा रहा है।
राज्य में ग्रांट इन एड सेकेंडरी और हायर सेकेंडरी स्कूलों में बड़ी संख्या में छात्र अध्ययन करते हैं। इतना ही नहीं, शिक्षा विभाग की ओर से उठाए जा रहे परिणामोन्मुखी कदमों के फलस्वरूप ऐसे स्कूलों में आने वाले छात्रों की संख्या में बड़ी वृद्धि होने की भी संभावनाएं हैं।
मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल ने भविष्य की जरूरतों के संबंध में दूरदर्शी योजना के साथ ग्रांट इन एड स्कूलों में भी सरकारी स्कूलों की तरह ढांचागत सुविधाओं को सुदृढ़ करने के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करने का निर्णय किया है। इसके अनुसार शिक्षा मंत्री डॉ. कुबेरभाई डिंडोर के मार्गदर्शन में राज्य के शिक्षा विभाग की ओर से शैक्षणिक वर्ष 2025-26 से अगले 5 वर्षों के लिए यह योजना शुरू की गई है।
राज्य सरकार ने शिक्षा जगत और स्कूली छात्रों के व्यापक हित में इस योजना को शुरू कर स्कूल संचालक मंडल संघ की मांग पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है।
मुख्यमंत्री द्वारा मंजूर की गई इस योजना के अंतर्गत मिशन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस 2.0 के तहत ऐसे ग्रांट इन एड माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्कूलों को, छात्रों की संख्या के आधार पर स्कूलों में ढांचागत सुविधाएं विकसित करने के लिए केवल एक बार 10 लाख रुपए से लेकर 1.50 करोड़ रुपए तक की आर्थिक सहायता दी जाएगी।
इस योजना के अंतर्गत स्कूलों को जिन ढांचागत सुविधाओं के लिए सहायता दी जाएगी, उनमें अपेक्षित क्लासरूमों का निर्माण, पुस्तकालय, लेबोरेटरी, कंप्यूटर लैब, वोकेशनल रूम, गर्ल्स रूम आदि विशिष्ट कक्षों का निर्माण, छात्रों, छात्राओं और दिव्यांग छात्रों के लिए नए टॉयलेट ब्लॉक्स और पेयजल की सुविधा तथा अन्य बड़े मरम्मत कार्य, रंग-रोगन, कंपाउंड वॉल और दिव्यांगों के लिए आवश्यक सुगम्य ढांचागत सुविधाएं शामिल हैं।
ऐसी सुविधाओं के लिए होने वाले खर्च का 80 फीसदी राज्य सरकार प्रदान करेगी, जबकि शेष 20 फीसदी राशि संबंधित स्कूल मंडल (समिति) को वहन करना होगा।
मिशन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस 2.0 के अंतर्गत आने वाले और इस सहायता के लिए पात्र ग्रांट इन एड माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्कूल 30 सितंबर, 2025 तक संबंधित जिला शिक्षा अधिकारी को निर्धारित नमूने में अपना आवेदन कर भेज सकते हैं।
मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल द्वारा लिया गया यह शिक्षा हितैषी निर्णय ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों के ग्रांट इन एड स्कूलों में छात्र-उन्मुख ढांचागत सुविधाएं विकसित करने में मदद करेगा। इससे संचालकों पर आर्थिक बोझ भी कम होगा। शिक्षा विभाग ने इस योजना से संबंधित विधिवत संकल्प जारी कर दिए हैं।
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