दिल्ली। नरेन्द्र मोदी ने रूस के साथ अपनी दोस्ती को प्रमुखता देते हुए ट्रंप के टैरिफ-प्रेशर का करारा जवाब दिया है। भारत ने पूरी ताकत के साथ साफ कर दिया है कि भारत अमेरिका के किसी दबाव और धमकी में नहीं आएगा। राष्ट्रपति ट्रम्प की दूसरी धमकी पर विदेश मंत्री जय शंकर और रूस ने ऐसा करारा जवाब दिया है कि मोदी जी का ‘देश पहले’ का संकेत सब समझ गए हैं।
दरअसल, विश्व चौधरी बनने की लालसा पाले राष्ट्रपति ट्रंप ने नया राग ये अलापना शुरू कर दिया है, कि वो कुछ देशों पर टैरिफ इसलिए बढ़ा रहे हैं, क्योंकि वे रूस के साथ व्यापार करते हैं, जो यूक्रेन पर हमले बंद नहीं कर रहा है। ऐसे देशों में चीन के अलावा भारत भी अमेरिकी राष्ट्रपति की नजरों में है। रूस से व्यापार और हथियारों के सौदों के चलते ट्रंप प्रशासन ने भारत पर भी 25 फीसदी का टैरिफ लगा दिया। वे इस बात को हजम नहीं कर पा रहे हैं, कि भारत रूस से अरबों रुपये का व्यापार कर रहा है और उससे तेल और हथियार खरीद रहा है। इस हरकत पर भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी यूएस को मुँह तोड़ जवाब दिया है।
◾नीतियों पर तीखा हमला-
भारत के अभिन्न मित्र रूस के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जाखारोवा ने अमेरिका की नीतियों पर तीखा हमला किया है। कुछ देशों, नेताओं और लोगों को ऐसा लग रहा है कि ट्रंप के दबाव में रुस से भारत दोस्ती तोड़ देगा, लेकिन करारे जवाब से सब समझ चुके हैं कि अमेरिका भले ही कोई-सी भी कूटनीति खेल ले, मोदी जी को राष्ट्र हित में झुकाना असम्भव है। ट्रंप की टैरिफ धमकी पर भारत का यह बोलना “नहीं तोड़ेगा रूस का भरोसा” इसका सबूत है। अमेरिकन टैरिफ पर भारत का तगड़ा जवाब इसका उत्तर है। रूस के साथ मित्रता क़ायम रखते हुए भारत का यह व्यवहार अमेरिकी एकाधिकार पर कड़ी चोट है। मोदी जी की ‘देश पहले’ नीति को सामने करके भारत ने जो मोर्चा खोला है, उससे ट्रम्प की टैरिफ मामले में सिट्टी-पिट्टी गुम हों गई है। यह बार-बार कह रहे हैं- “मैं भारत द्वारा अमेरिका को दिए जाने वाले टैरिफ़ में काफ़ी वृद्धि करूंगा।” तो मजबूर होकर इसके उत्तर में भारत को सख्त बात कहनी ही पड़ी है।
तब तारीफ़, अब तकलीफ-
भारत ने कहा कि रूस से तेल खरीद को लेकर यूरोपियन यूनियन और अमेरिका द्वारा लगातार भारत को टारगेट किया जा रहा है। असल में संघर्ष शुरू होने के बाद ट्रेडिशनल सप्लाई को यूरोप ट्रांसफर करने के बाद ही भारत ने रूस से तेल खरीदना शुरू किया था। उस वक्त अमेरिका ने भी ग्लोबल एनर्जी मार्केट की स्थिरता के लिए भारत के द्वारा की जा रही इस आयात की तारीफ की थी, तो अब क्या हुआ ?
◾लगातार दबाव-
अपनी हठ पर अड़े अमेरिका के राष्ट्रपति भारत पर लगातार दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं। इसमें उन्होंने कहा कि “भारत को इस बात की कोई परवाह नहीं है कि रूसी युद्ध मशीन द्वारा यूक्रेन में कितने लोग मारे जा रहे हैं। इस वजह से मैं भारत द्वारा अमेरिका को दिए जाने वाले टैरिफ में काफी बढ़ोतरी करूंगा।” बार-बार के ट्रंपके इस व्यवहार के बाद भारत सरकार ने अमेरिका को उसी भाषा में जवाब दिया, और रूस के साथ व्यापार मामले में भी ट्रम्प आईना दिखा दिया। इससे पूरा दृश्य अब साफ है कि मोदी जी और भारत सरकार के देश हित सबसे पहले है एवं मोदी जी राष्ट्रीय हितों को सुरक्षित करने, किसानों, श्रमिकों, उद्यमियों, निर्यातकों, एमएसएमई तथा उद्योग जगत के सभी हितधारकों की रक्षा और संवर्धन को सर्वोच्च महत्व देती है।