Monday, June 23, 2025
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…और ठहर गई 14,64,105 घण्टों से निरंतर चल रही भारतीय रेल ! जानिए रोचक इतिहास

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ट्रेन में बैठ नहीं सकते, तो घर बैठे कीजिए अनोखी ‘रेल यात्रा’..!


आलेख : कन्हैया कोष्टी
अहमदाबाद। विश्व के चौथे सबसे बड़े रेलवे नेटवर्क ‘भारतीय रेल’ (INDIAN RAIL) का 1,21,407 किलोमीटर तक फैला रेलवे ट्रैक पिछले 25 दिनों से परम् शांत व मौन है। देश के साधारण से लेकर उच्च वर्ग के लोगों को सस्ती, सुलभ से लेकर उच्च कोटि की सुविधायुक्त परिवहन सेवा प्रदान करने वाली भारतीय रेल इतनी लोकप्रिय है कि प्रतिदिन एक पूरा ‘ऑस्ट्रेलिया’ ट्रेन में होता है। कहने का तात्पर्य यह है कि ऑस्ट्रेलिया की कुल जनसंख्या 2 करोड़ 50 लाख है और भारत में इतने ही लोग प्रतिदिन ट्रेन के डिब्बे में यात्रा कर रहे होते हैं, परंतु गत 25 मार्च, 2020 मध्य रात्रि 12.00 बजे अचानक भारतीय रेल के पहिए ठहर गए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने CORONA (COVID 19) महामारी के संक्रमण पर नियंत्रण के लिए गत 24 मार्च को रात 8.00 बजे मध्य रात्रि 12.00 बजे से लॉकडाउन की घोषणा की और इसके साथ ही ऐतिहासिक भारतीय रेल के इतिहास में पहली बार वह हुआ, जो उसके 167 वर्षों के इतिहास में कभी नहीं हुआ था।
जी हाँ ! आपको यह जान कर आश्चर्य होगा कि इस लॉकडाउन के कारण अपने आरंभ के पश्चात् कभी नहीं ठहरने वाली भारतीय रेल पहली बार ठहर गई। ढाई करोड़ यात्रियों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँचाने वाली भारतीय रेल ने 167 वर्षों के इतिहास में पहली बार विराम लिया। पूरे 14 लाख 64 हजार 105 घण्टों के बाद भारतीय रेल ने यह विराम लिया। 16 अप्रैल, 1853 को पहली ट्रेन आरंभ होने से लेकर 24 मार्च, 2020 रात्रि 11.59 बजे तक भारतीय रेल बिना रुके-बिना थके चलती रही। स्वतंत्रता से पूर्व व पश्चात् के भारत में अनेक उथल-पुथलें मचीं। स्वतंत्रता से पूर्व अंग्रेज़ी साम्राज्य के विरुद्ध स्वतंत्रता सेनानियों, आंदोलनकारियों तथा क्रांतिकारियों से लेकर स्वतंत्र भारत में बात-बात पर ‘रेल रोको आंदोलन’ कर रेलवे को ही पहला लक्ष्य बनाया गया, परंतु भारतीय रेल के पहिए देश के कोने-कोने से नागरिकों को अपने गंतव्य तक पहुँचाते रहे।

16 अप्रैल, 1853 को चली ट्रेन ने फिर कभी नहीं लिया ‘चैन’


भारत में रेल पटरियों का जाल अंग्रेज़ी साम्राज्य ने बिछाया था। 1850 के दशक में जब अंग्रेज़ी साम्राज्य भारत में रेल पटरियाँ बिछा रहा था, तब वह भारत या भारतीयों पर कोई उपकार नहीं कर रहा था। उसका उद्देश्य तो अपने शासन को अधिक सुगम बनाना ही था। अंग्रेजों को उस समय तो कल्पना भी नहीं थी कि डेढ़ सौ वर्ष बाद ही सही, भारत से उन्हें जाना होगा। वे तो सदा के लिए भारत व भारतीयों का दोहन करना चाहते थे और इसीलिए उन्होंने भारतीय रेल की शुरुआत की। वैसे अंग्रेज़ों की कुटिलता पर जाने से मूल मुद्दे से भटकाव हो जाएगा। अत: पुन: आपको भारतीय रेलवे के निरवरुद्ध इतिहास की पटरी पर ले चलते हैं। हाँ, तो भारत में पहली यात्री ट्रेन 16 अप्रैल, 1853 को चली थी। इस प्रथम यात्री ट्रेन ने 16 अप्रैल, 1853 को दोपहर 3.30 बजे मुंबई के तत्कालीन बोरीबंदर (अब छत्रपति शिवाजी टर्मिनल) स्टेशन से प्रस्थान किया था। भारतीय रेल का यह पहला प्रस्थान उसके बाद 61,005 दिनों अर्थात् 8,715 सप्ताहों अर्थात् 2,004 महीनों व 9 दिनों अर्थात् 167 वर्षों व 9 दिनों तक अवार गति से, बिना रुके-बिना थके चल चलता रहा। 20 डिब्बों वाली प्रथम यात्री ट्रेन फेयरी क्वीन सायं 4.45 बजे ठाणे पहुँची। 34 किलोमीटर की दूरी वाली प्रथम यात्री ट्रेन में 400 यात्रियों ने यात्रा की थी। बस, उस दिन से आरंभ हुई भारतीय यात्री ट्रेनों की यात्रा अपने इतिहास में कभी अवरुद्ध नहीं हुई, परंतु कोरोना (कोविड 19) ने इसके पहियों को जाम कर डाला।

भारतीय रेल की इन विशेषताओं पर गर्व करेंगे आप


  1. भारत रेलवे नेटवर्क के मामले में भले ही अमेरिका, रूस व चीन के बाद चौथे स्थान पर है, परंतु विश्व का सबसे ऊँचा रेलवे पुल भारत में बन रहा है। जम्मू-कश्मीर में चिनाब नदी पर निर्माणाधीन पुल की ऊँचाई 359 मीटर होगी, जो पेरिस के एफिल टावर से भी ऊँचा होगा।
  2. भारतीय रेलवे विश्व का चौथा व एशिया का सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क है।
  3. भारतीय रेलवे में 1,21,407 किलोमीटर का ट्रैक व 67,368 किलोमीटर का मार्ग (रूट) है।
  4. देश में 8,000 से अधिक रेलवे स्टेशन हैं।
  5. भारतीय रेलवे विश्व का 8वाँ तथा एशिया का तीसरा सबसे बड़ा नियोक्ता (EMPLOYER) है, जिसमें 15 ला से अधिक लोग कार्यरत् हैं।
  6. भारत में विश्व का सबसे बड़ा रूट रिले इंटरलॉकिंग सिस्टम है, जो नई दिल्ली में। यह एक रिकॉर्ड है, जो गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज़ है।
  7. भारतीय रेल पटरियों का जाल इतना विराट है कि उस पर चलते हुए पृथ्वी के डेढ़ चक्कर लगाने जितनी दूरी तय की जा सकती है।
  8. गतिमान एक्सप्रेस भारत की सबसे तीव्र ट्रेन है, जो दिल्ली के हज़रत निज़ामुद्दीन रेलवे स्टेशन से आगरा कैंट के बीच चलती है। इसकी अधिकतम् गति 160 किलोमीटर व औसत गति 112 किलोमीटर प्रति घण्टा है।
  9. भारत की सबसे मंद गति ट्रेन का नाम है नीलगिरी एक्सप्रेस, जिसकी औसत गति 10 किलोमीटर प्रति घण्टा है।
  10. हावड़ा-अमृतसर एक्सप्रेस ट्रेन सर्वाधिक 111 स्टेशनों पर ठहरती है।
  11. विवेक एक्सप्रेस सबसे लंबी दूरी की ट्रेन है। डिब्रूगढ़ से कन्याकुमारी के बीच चलने वाली यह ट्रेन एक बार में 4,273 किलोमीटर चलती है।
  12. भारतीय रेल के साथ एक और बड़ा इतिहास यह जुड़ा है कि यहाँ विश्व का सबसे लंबा प्लेटफॉर्म है, जिसका नाम है गोरखपुर रेलवे स्टेशन। इसकी लंबाई 1366.33 मीटर है।
  13. भारत में 8000 रेलवे स्टेशनों के नामों में सबसे बड़ा नाम है वेंकटनरसिम्हराजुवारिपेटा। यह रेलवे स्टेशन चित्तोड-आंध्र प्रदेश में है।
  14. यदि वेंकटनरसिम्हराजुवारिपेटा रेलवे स्टेशन का नाम सबसे बड़ा है, तो सबसे छोटे नाम वाला स्टेशन है ईब। यह रेलवे स्टेशन ओडिशा में है।
  15. भारतीय रेलवे स्टेशनों में एकमात्र नवापुर रेलवे स्टेशन है, जो महाराष्ट्र व गुजरात दो राज्यों की सीमा पर है।
  16. भारत में सबसे लंबी 11.215 किलोमीटर की रेल सुरंग जम्मू-कश्मीर की पीर पंजाल सुरंग है।

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