नई दिल्ली, 5 अगस्त 2025: संसद के मानसून सत्र के दौरान आज संसद भवन में NDA सांसदों की अहम बैठक आयोजित की गई। यह बैठक कई मायनों में खास रही — एक ओर जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और ‘ऑपरेशन महादेव’ की सफलता पर सम्मानित किया गया, वहीं दूसरी ओर यह बैठक उपराष्ट्रपति चुनाव के नामांकन से ठीक पहले हुई, जिससे इसकी राजनीतिक अहमियत और बढ़ गई।
बैठक की शुरुआत में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी को पुष्पहार पहनाकर सम्मानित किया। इसके बाद सांसदों ने तालियों और नारों के साथ उनका स्वागत किया। संसद भवन गूंज उठा – ‘हर हर महादेव’, ‘भारत माता की जय’ जैसे नारों से।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता पर सम्मान और प्रस्ताव
बैठक में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता पर NDA सांसदों की ओर से प्रधानमंत्री को सम्मानित किया गया। पहलगाम आतंकी हमले का बदला लेने के लिए की गई सैन्य कार्रवाई की तारीफ करते हुए एक सर्वसम्मत प्रस्ताव भी पारित किया गया:
“भारत आतंकवाद को न तो भूलता है और न ही माफ करता है। सैन्य शक्ति और मजबूत नेतृत्व के जरिए इंसाफ हुआ है।”
बैठक में शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी गई और भारतीय सेना की वीरता को सलाम किया गया।
उपराष्ट्रपति चुनाव से पहले NDA की रणनीति बैठक

यह बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण रही क्योंकि यह उपराष्ट्रपति चुनाव के नामांकन से ठीक पहले बुलाई गई थी। राजनीतिक विश्लेषकों की नजर इस पर टिकी थी कि NDA इस मौके पर क्या संदेश देना चाहता है। माना जा रहा है कि इस बैठक में मानसून सत्र की आगे की रणनीति और विपक्ष से निपटने के तरीकों पर भी विस्तृत चर्चा हुई।
सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी ने सांसदों से कहा कि बिहार में वोटर्स लिस्ट रिविजन (SIR) को लेकर लोगों को गुमराह किया जा रहा है, लेकिन जनता सब कुछ समझ रही है। उन्होंने गृहमंत्री अमित शाह की सराहना करते हुए उन्हें देश के सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले गृह मंत्री के रूप में सम्मानित किया।
‘11 साल, 11 बड़े फैसले’ – सांसदों को भेंट की गई पुस्तक
बैठक में NDA सरकार के 11 वर्षों की प्रमुख उपलब्धियों को समर्पित पुस्तक ‘11 साल, 11 बड़े फैसले’ सांसदों को भेंट की गई। इसमें सरकार के ऐतिहासिक निर्णयों और नीतिगत पहलों को संक्षेप में प्रस्तुत किया गया है।
पहली बैठक, लेकिन व्यापक संदेश
21 जुलाई से शुरू हुए संसद के मानसून सत्र के दौरान यह NDA सांसदों की पहली बैठक थी। इसमें भाजपा और उसके सभी सहयोगी दलों के सांसदों की उपस्थिति अनिवार्य रही। केंद्र में तीसरी बार NDA की सरकार बनने के बाद संसद सत्र के दौरान यह दूसरी अहम बैठक थी।