Thursday, August 7, 2025
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तुम धरती से छीनोगे, वो धरती ही छीन लेगा

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उत्तराखंड। धराली गाँव में अचानक भयंकर बाढ़ आ गई। इसमें हुई 10 मौतों ने फिर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर भारी बारिश के बाद तूफानी जलसैलाब से सब-कुछ कब तक तबाह होता रहेगा। कुछ ही सेकंड में खामोश पर्वतीय बस्ती का नजारा पूरी तरह मकान, होटल, दुकान और वाहन नदी के साथ बहा ले गया। यह स्पष्ट इशारा है कि इंसान धरती से कुछ भी सीमा से अधिक छीनेगा तो कुदरत वो धरती ही छीन लेगी।

इस दिल दुखा देने वाली घटना में करीब 50 लोग लापता हैं और सम्भव है कि आँकड़ा और बढ़े।

उत्तरकाशी जिले की हर्षिल घाटी में स्थित इस गाँव में खीर गंगा (खीर गाड़) नदी के जलग्रहण क्षेत्र में बाढ़ इतनी तेज थी कि 30-35 सेकंड के भीतर पूरा गाँव उजड़ गया। इसकी भयावहता इसी से समझी जा सकती है कि ऊंची इमारतें भी 2 हिस्सों में टूटकर नदी में समा गईं। अब राहत और बचाव कार्य के लिए प्रशासन और सेना जुटी हुई है, पर जाने वाले तो संसार से चले गए।

◾कटाव की अनदेखी तबाही का बड़ा कारण-

अचानक आई विपत्ति की यह जड़ें केवल आसमानी बारिश तक सीमित नहीं हैं। स्थानीय भूगर्भ वैज्ञानिकों के अनुसार तो नदी के पुराने मार्गों और कटाव की अनदेखी भी इस तबाही का बड़ा कारण रही। वर्षों से नदी की जमीन पर निर्माण कार्य और संरक्षण-दीवार की अनदेखी ने प्राकृतिक और मानवनिर्मित आपदा को और बेकाबू बना दिया है। इसे सरकार, स्थानीय प्रशासन नहीं समझ पाया है, क्योंकि नदी तो हर 2-3 वर्ष में अपने मलबे से तबाही लाकर चेतावनी देती आ रही है।

◾हिसाब बराबर करती प्रकृति-

इस घटना ने एक बार फिर याद दिला दिया है कि “तुम धरती से छीनोगे, वो धरती ही छीन लेगा!” दरअसल, प्राकृतिक संसाधनों की अनदेखी और अतिक्रमण पर प्रकृति इसी तरह अपना हिसाब बराबर करती रहती है। यह पहली बार नहीं है कि प्रकृति गुस्सा हुई है। धराली की बाढ़ केवल त्रासदी नहीं, बल्कि हमारे ‘विकास मॉडल’ पर कठोर सवाल भी है, जिनके उत्तर तत्काल और पूरी जिम्मेदारी से खोजने की अनिवार्य आवश्यकता है।

Bhavy Bhaarat News
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