दिल्ली।बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) अभियान को लेकर तीव्र राजनीतिक विवाद छिड़ गया है। सांसद राहुल गांधी ने अवसर को अपने पक्ष में करने के लिए जो तीर चलाया है, वो उनके गले की फाँस बनता दिख रहा है, क्योंकि आयोग ने इनको नोटिस थमा दिया है। अब इस मामले में नोटिस भेजने से सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट की आगामी सुनवाई पर हैं।
भाजपा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को घेरने में लगे कांग्रेसी युवराज राहुल गांधी ने एक बार फिर आयोग को लपेटने की कोशिश की है, पर इस बार भी इनकी पराजय दिख रही है। इस प्रक्रिया में बिहार को लेकर राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर आरोप लगाया है कि बिना उचित जांच के करीब 65 लाख मतदाताओं के नाम हटा दिए गए हैं। विपक्ष का दावा यह भी है कि इस अभियान में कई जीवित मतदाताओं के नाम गायब कर दिए गए हैं, जबकि मृत लोगों के नाम लिस्ट में बरकरार हैं, जिससे चुनावी धोखाधड़ी की आशंका बढ़ गई है।
◾आयोग ने दिया नोटिस, माफ़ी मांगो-
बेतुके आरोप को लेकर पनपे इस विवाद में लोकसभा नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को भी नोटिस भेजा गया है, जिसके तहत उनसे इस मामले में जवाब मांगा गया है। आयोग ने आरोप को नकारते हुए इनसे माफ़ी माँगने को कहा है।
अपनी बात पर अड़े राहुल गांधी सहित कई विपक्षी नेताओं ने इस पुनरीक्षण प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने की मांग की है, एवं चुनाव आयोग के खिलाफ संसद से सड़क तक प्रदर्शन किया है।
◾बिना सूचना के कुछ नहीं-
इस मामले में राजनीति का रंग चढ़ता देख चुनाव आयोग ने रास्ता निकाला है, कि नाम हटाने या जोड़ने की प्रक्रिया में किसी मतदाता को बिना नोटिस और सुनवाई के हटाया नहीं जाएगा। आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है, जिसमें कहा है कि सभी योग्य मतदाताओं के नाम अंतिम सूची में शामिल किए जाएंगे और शिकायत के लिए एक निर्धारित समय भी दिया है। कांग्रेस इसे अपनी जीत मान रही है, जबकि अभी ऐसा अंतिम फैसला कोर्ट करेगी।

◾कोर्ट ने माँगे आंकड़े-
इस मामले को सुलझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है, और आयोग से विस्तृत आंकड़े मांगे हैं, ताकि यह जांच की जा सके कि SIR की प्रक्रिया वैध और संवैधानिक है या नहीं। कोर्ट आयोग को निर्देश दिया है कि हटाए गए नामों की पूरी जानकारी याचिकाकर्ताओं और संबंधित पक्षों को उपलब्ध कराई जाए।
◾चुनावी नैया की राजनीति-
राहुल गांधी के हाथ लगे इस मुद्दे को लेकर बिहार से दिल्ली तक खूब राजनीति की जा रही है। बिहार में विधानसभा चुनाव है, इसलिए विपक्ष ने इस विवाद को लेकर बिहार के कई इलाकों में प्रदर्शन किया है, जिसमें कई विपक्षी नेता हिरासत में भी लिए गए। कांग्रेस और तेजस्वी यादव इस मौके को चुनावी नैया पार करने का मानकर खूब भड़ास निकाल रहे हैं, तो मतदाता की तरफ से भाजपा इसका करारा जवाब दे रही है। कुल मिलाकर बिहार की वोटर लिस्ट पुनरीक्षण प्रक्रिया ने राजनीतिक जमीन पर बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है, और राहुल गांधी समेत विपक्षी नेताओं को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से उम्मीद हैं, तों आयोग और भाजपा अपनी निष्पक्षता पर कायम है।
◾ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी-
अभियान को लेकर मतदाता भी अपने नाम की जांच करने और पुनः सूची में शामिल होने के लिए सक्रिय हैं, क्योंकि आयोग ने अपनी वेबसाईट पर ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी कर दी है, ताकि लोग पात्रता देख सकें। गौरतलब है कि 240 विधानसभा क्षेत्र वाले बिहार में 65 लाख मतदाताओं के नाम हटाना बड़ी बात है, जिससे भाजपा को भले ही फर्क नहीं पड़े, लेकिन लालू यादव-तेजस्वी यादव और कांग्रेस के लिए यह बड़ा नुकसान बन सकता है।