Tuesday, July 22, 2025
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गुजरात के दक्षिण डांग में ‘लखपति दीदी योजना’ से आदिवासी महिलाओं का हुआ उत्थान

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दक्षिण डांग में स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं बनी लखपति : वर्ष 2023-24 में 8,50,000 पौधे लगाकर कमाए 35 लाख रुपए

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के 2 करोड़ महिलाओं को ‘लखपति दीदी’ बनाने के स्वप्न को साकार कर रहा है गुजरात

गांधीनगर, 22 जुलाई : प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने विकसित भारत के निर्माण में महिलाओं को बहुत ही महत्वपूर्ण स्तंभ बताया है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में वर्ष 2023 में शुरू की गई लखपति दीदी योजना आज अनेक महिलाओं की आर्थिक उन्नति का एक मजबूत माध्यम बन गई है। लखपति दीदी योजना के अंतर्गत स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) से जुड़ी ग्रामीण महिलाओं को व्यवसाय शुरू करने के लिए सहायता प्रदान की जाती है, ताकि उनकी सालाना आय 1 लाख रुपए या उससे अधिक हो सके। गुजरात प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के देश की दो करोड़ महिलाओं को ‘लखपति दीदी’ बनाने के स्वप्न को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इस पहल के तहत दक्षिण डांग वन विभाग ने आदिवासी महिलाओं को पौधे लगाने का प्रशिक्षण, वित्तीय सहायता और बाजार संपर्क प्रदान कर 35 लाख रुपए की आय अर्जित करने में मदद की है।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था में आया बदलाव, महिलाओं ने कमाए 35 लाख रुपए

मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल के मार्गदर्शन में गुजरात सरकार ने राज्य में लखपति दीदी योजना का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित किया है। इस योजना के अंतर्गत दक्षिण डांग वन विभाग ने उत्कृष्ट कार्य करते हुए आदिवासी महिलाओं को लखपति बनाया है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में स्वयं सहायता समूहों ने 8,50,000 पौधे सफलतापूर्वक उगाए और इस पहल के माध्यम से 40 महिलाओं ने 35 लाख रुपए कमाए। यह आंकड़ा दर्शाता है कि लखपति दीदी योजना से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में आमूल परिवर्तन आ रहा है। ये महिलाएं ऐसे परिवारों का नेतृत्व करती हैं, जिनकी अब एक स्थिर आय है, जिनके बच्चे अब अच्छी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं और समुदायों का उत्थान कर रहे हैं।

प्रशिक्षण से लेकर कमाई का प्रभावी प्रबंधन करने तक, मिलता है मार्गदर्शन

लखपति दीदी की पहल के अंतर्गत स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को पौधे लगाने और तैयार पौधों की देखभाल करने की जिम्मेदारी सौंपी जाती है। वन विभाग सीधे इन महिलाओं के बैंक खाते में भुगतान की रकम भेजता है, जिससे पारदर्शिता और वित्तीय स्वतंत्रता सुनिश्चित होती है। इन महिलाओं को बीज बोना, कटाई, खाद का उपयोग और जल प्रबंधन जैसे नर्सरी से संबंधित कार्यों का प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके अलावा, उन्हें बैंकिंग, एकाउंटिंग और वित्तीय आयोजन के संबंध में भी बुनियादी प्रशिक्षण दिया जाता है, जो उन्हें कमाई का प्रभावी तरीके से प्रबंधन करने में मदद करता है।

लखपति दीदी योजना से महिलाओं की उद्यमिता को मिला प्रोत्साहन

लखपति दीदी योजना का सबसे बड़ा प्रभाव यह है कि इससे महिलाएं आत्मविश्वासी और आर्थिक रूप से सशक्त बनी हैं। ये महिलाएं अब केवल गृहणियां ही नही हैं, बल्कि वे उद्यमी और अपने समुदायों की एक नेता के तौर पर भी उभरी हैं। भारत का दिल कहे जाने वाले गांवों के विकास में इनकी बढ़ती भूमिका यह दर्शाती है कि वे आर्थिक सशक्तिकरण के साथ-साथ सामाजिक परिवर्तन की एक नई राह भी बना रही हैं। इतना ही नहीं, इस योजना ने पर्यावरण की दृष्टि से भी उल्लेखनीय प्रभाव डाला है। पौधे लगाने की गतिविधि से दक्षिण डांग क्षेत्र और भी हरा-भरा बन रहा है और इस प्रकार यह पहल पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रही है।

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