नई दिल्ली, 30 जुलाई 2025 — भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्तों में एक बार फिर तनाव की स्थिति बनती दिख रही है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संकेत दिए हैं कि भारत से अमेरिका को निर्यात किए जाने वाले उत्पादों पर 20 से 25 प्रतिशत तक का टैरिफ लगाया जा सकता है। यह कदम भारत के लिए आर्थिक रूप से भारी साबित हो सकता है, खासतौर पर उन उद्योगों के लिए जो अमेरिकी बाजार पर निर्भर हैं।
कौन-कौन से सेक्टर्स होंगे सबसे ज्यादा प्रभावित?
अगर यह टैरिफ लागू हुआ, तो भारतीय कपड़ा, जूते और आभूषण (ज्वेलरी) उद्योगों को सीधा नुकसान होगा। इन क्षेत्रों से अमेरिका को निर्यात होने वाले सामान की मात्रा काफी अधिक है, और टैरिफ बढ़ने से इन उत्पादों की कीमतें वहां महंगी हो जाएंगी, जिससे प्रतिस्पर्धा घटेगी और ऑर्डर कम हो सकते हैं। इससे भारत में इन सेक्टरों में काम कर रहे लाखों श्रमिकों की आजीविका पर असर पड़ेगा।
ट्रंप का बयान: टैरिफ पर अभी भी अंतिम निर्णय नहीं
ट्रंप ने स्कॉटलैंड की पांच दिवसीय यात्रा के बाद अमेरिका लौटते समय ‘एयर फोर्स वन’ विमान में पत्रकारों से बात करते हुए कहा, “हां, मुझे ऐसा लगता है कि भारत पर 20 से 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया जा सकता है। भारत मेरा मित्र है, लेकिन उसने अन्य देशों की तुलना में अधिक टैरिफ लगाए हैं।” हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अंतिम टैरिफ दर तय नहीं हुई है, क्योंकि दोनों देश 1 अगस्त की डेडलाइन से पहले व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं।
1 अगस्त की डेडलाइन
ट्रंप प्रशासन ने 1 अगस्त तक व्यापार समझौते पर पहुंचने की समय सीमा तय की है। यदि इस समय सीमा तक कोई समझौता नहीं होता, तो अमेरिका “रेसिप्रोकल टैरिफ” नीति लागू करेगा, जिसके तहत उन देशों पर उच्च आयात शुल्क लगाया जाएगा जो अमेरिकी उत्पादों पर ज्यादा टैरिफ लगाते हैं।

भारत की प्रतिक्रिया और स्थिति
अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जैमीसन ग्रीर के अनुसार, भारत को अभी और समय की आवश्यकता है ताकि वह अमेरिका की अपेक्षाओं के अनुसार अपने बाजार को और खोलने पर विचार कर सके। रिपोर्ट्स के मुताबिक, नई दिल्ली कुछ हद तक टैरिफ कम करने पर सहमत हो सकती है, लेकिन अभी तक कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है।
निर्यातकों में चिंता की लहर
भारत के निर्यातकों ने ट्रंप के बयानों को लेकर गहरी चिंता जताई है। उनका मानना है कि इस तरह के टैरिफ भारतीय निर्यात को नुकसान पहुंचा सकते हैं, खासकर ऐसे समय में जब वैश्विक मांग पहले ही कमजोर है।
निष्कर्ष:
डोनाल्ड ट्रंप के सख्त व्यापारिक रुख और 1 अगस्त की डेडलाइन ने भारत को मुश्किल स्थिति में डाल दिया है। यदि व्यापार समझौता समय पर नहीं हुआ, तो अमेरिका की ओर से लगने वाला टैरिफ भारत के लिए आर्थिक रूप से घातक साबित हो सकता है। अब निगाहें दोनों देशों के वार्ताकारों पर टिकी हैं कि क्या वे समय रहते कोई व्यावहारिक समाधान निकाल पाते हैं।