Thursday, July 31, 2025
HomeMAIN NEWSSTATES STRANDअमीर बढ़ गए… और गरीब…

अमीर बढ़ गए… और गरीब…

Share:

दिल्ली। जानकर आश्चर्य होगा कि भारत में पिछले एक दशक में आर्थिक असमानता फिर सामने आ खड़ी हुई है। इस पर फिर से राष्ट्रीय विमर्श हो रहा है कि 2014– 2024 के बीच देश में अरबपतियों की संख्या में 300 प्रतिशत की तगड़ी बढ़ोतरी दर्ज की गई है, तो आम आदमी की वास्तविक आय में अपेक्षाकृत सीमित वृद्धि ही आई है। ऐसे में आय-वितरण की खाई और चौड़ी हो गई है। यह बात कितनी चिंताजनक है, कि 90 फीसदी भारतीयों के पास मासिक जरूरतों के अलावा अतिरिक्त खर्च करने के लिए धन ही नहीं है।

देश तेजी से आगे बढ़ रहा है और अर्थव्यवस्था में भी नए कीर्तिमान बन रह हैं, किन्तु महत्वपूर्ण रिपोर्टों के अनुसार तो अलग ही चिंता आ खड़ी हुई है। इसके अनुसार तो शीर्ष 10 भारतीयों के पास अब कुल आय का लगभग 57 फीसदी हिस्सा है, जबकि निचली 50 प्रतिशत आबादी की आय घटकर 15 प्रतिशत के आसपास रह गई है। ऐसे ही दुःखद पहलू यह भी है कि 90 प्रतिशत भारतीयों के पास अतिरिक्त खर्च के लिए धन ही नहीं है, तो अर्थव्यवस्था उड़ कैसे रही है, इसका उत्तर खोजा जाना चाहिए।

◾असमानता से 30 फीसदी नुकसान-

संयुक्त राष्ट्र की मानव विकास रिपोर्ट 2025 के अनुसार इस आर्थिक असमानता की वजह से भारत में मानव विकास में 30 प्रतिशत से अधिक का नुकसान हुआ है। यानी 16 फीसदी आबादी बहुआयामी गरीबी में जीवन बिताने को मजबूर है। ऐसा कहना गलत नहीं होगा कि रोटी खाने के लाले हैं, और ये मिल जाए तो भी दूसरी वस्तु खरीदना असम्भव है। फिर भले ही देश में अमीर अधिक हों।

◾लाभ सीमित वर्ग तक ही-

GDP की औसत वृद्धि दर 6 फीसदी से ऊपर बनी रही है, लेकिन अधिकांश वृद्धि का लाभ सीमित वर्ग तक ही पहुंच सका है। इसका सीधा मतलब है कि देश में पैसा तो है, मगर सबके पास नहीं है। एक सीमित सीमा तक ही उसका फायदा हो रहा है। इतनी अमीरी बढ़ने के बाद भी विशेष रूप से महिलाओं, ग्रामीण क्षेत्र और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की आय में कोई उल्लेखनीय बदलाव नहीं आया है।

◾यह है कुल संपत्ति-

भारतीय अरबपतियों की कुल संपत्ति भी 10 साल में लगभग 263 फीसदी बढ़कर $905.6 अरब (76.66 लाख करोड़ ₹) हो गई है। यह वृद्धि वैश्विक औसत से कहीं ज्यादा है और भारत को अरबपतियों की संख्या के मामले में दुनिया में तीसरे स्थान पर ले आई है। उल्लेखनीय है कि 2014 में भारत में मात्र 109 अरबपति थे, जो 2024 में लगभग 334 हो गए हैं। यानी करीब 3 गुना वृद्धि हो गई है।

◾आम आय और औसत वेतन यह-

अमीरों की इस संख्या बढ़ोतरी के बीच भारत की प्रति व्यक्ति सालाना आमदनी 2014-15 में 72,805₹ थी, जो 2024-25 में बढ़कर 2,05,324 ₹ हुई। दिखने में यह कई गुना वृद्धि है, परंतु महंगाई, जनसंख्या वृद्धि और वास्तविक जीवन व स्तर के लिहाज से यह वृद्धि उतनी प्रभावशाली नहीं मानी जा रही है।

◾आर्थिक अन्तर की मुख्य वजहें क्या ?-

इस अंतर के कारणों में शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में समानता की कमी, जाति एवं जेंडर आधारित भेदभाव और श्रमिकों की सौदेबाजी की कमजोर स्थिति है।इस सहित अन्य जटिल चुनौतियाँ हैं, जिस पर केन्द्र सरकार और वित्त मंत्रालय को गंभीर ध्यान देना होगा। ऐसा इसलिए भी आवश्यक है कि इस तरह की असमानता से आर्थिक असमानता विकास की पूरी तस्वीर धुंधली हो जाती है।

इस अन्तर को मिटाने के लिए इस मौजूदा स्थिति में नीति निर्माताओं के लिए सबसे बड़ी चुनौती है-विकास की गति और उसका प्रसार समान रूप से सुनिश्चित करना। अगर इसका सही क्रियान्वयन किया गया तो ही आर्थिक प्रगति का लाभ समाज के हर वर्ग तक पहुंचना सम्भव होगा, क्योंकि केवल शीर्ष वर्ग की सम्पन्नता लोकतांत्रिक और सामाजिक समावेशी विकास का पैमाना नहीं बन सकती।

Bhavy Bhaarat News
Bhavy Bhaarat News
भव्य भारत न्यूज़’ प्राचीतनम् भारत के महान वैभव एवं गौरव को आधुनिकतम् युग में जन-जन तक पहुँचाने का महायज्ञ, महाप्रयोग, महाप्रयास तथा महाभियान है। ‘भव्य भारत न्यूज़’ की ‘राष्ट्र – धर्म सर्वोपरि’ की मूल भावना में ‘विश्व कल्याण’ की विराट भावना भी समाहित है। इस मंच से हम ‘भारत’ को ‘भारत’ के ‘अर्थ’ से अवगत कराने का सकारात्मक, सारगर्भित एवं स्वानुभूत प्रयास करेंगे। ‘राष्ट्र सर्वोपरि’ तथा राष्ट्र को ही परम् धर्म के रूप में स्वीकार करते हुए कोटि-कोटि भारतवासियों व भारतवंशियों तक आधुनिक विज्ञान के माध्यम से प्राचीनतम्, परंतु आधुनिक-वैज्ञानिक व अनुभूतिपूर्ण ज्ञान परंपरा का जन-जन में प्रचार-प्रसार करना ही हमारा उद्देश्य है।
RELATED ARTICLES

Recent Post

Categories

Stay Connected

Popular Searches