दिल्ली Parliament। देश के सर्वोच्च मंदिर लोकसभा में सोमवार को ‘ऑपरेशन सिंदूर(Operation Sindoor)’ पर शुरू हुई बहस को लेकर विपक्ष का रवैया एक बार फिर सवालों के घेरे में है। सरकार ने विपक्ष की 16 घंटे की विस्तृत चर्चा के लिए मंच तैयार किया, पर विपक्ष ने पहले ही क्षण से शोर-शराबा कर साबित कर दिया कि उसके पास सवाल तो कम हैं, लेकिन सियासी ड्रामा ज्यादा है और वही होगा।
दरअसल, इस संवेदनशील राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर चर्चा की शुरूआत विपक्ष से बहुत अच्छी की जानी थी, ताकि देशवासियों को भी लगता कि संसद में बस हंगामा ही नहीं होता, सार्थक बात भी होती है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुरूआत करते हुए सेना के पराक्रम, बलिदान और कूटनीतिक कौशल की सराहना की, लेकिन विपक्ष ने गंभीर चर्चा की जगह संसद को अखाड़ा बनाने में कसर नहीं छोड़ी। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को हस्तक्षेप कर बहस को स्थगित करना पड़ा, जो संकेत है कि यह विपक्ष की ‘बहस से भागने की रणनीति’ है।
◾सन्देह कब तक…?
इस मामले में भाजपा सांसद डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने सटीक टिप्पणी की कि “जिन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक पर सबूत मांगे थे, वे आज भी ऑपरेशन सिंदूर पर संदेह कर रहे हैं। दरअसल, यह राष्ट्रहित नहीं, केवल वोट बैंक के हित में की जा रही राजनीति है।” बड़ा सवाल यह है कि विपक्ष को सरकार की किसी बात और अभियान पर अगर भरोसा ही नहीं है तो फिर चर्चा में आए ही क्यों ? कारण कि दिनभर की चर्चा के बाद भी अविश्वास तो बनाए ही रखना है न।
◾आग में घी डाला पी. चिदंबरम ने-
पूर्व अनुभवी मंत्री और कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम के बयान ने इस बहस में आग में घी डालने का काम किया। इनका यह पूछना कि “आप कैसे मानते हैं कि आतंकी पाकिस्तान से आए थे ?” बेहद ही अतार्किक, अविश्वासी और भारतीय सेना एवं खुफिया एजेंसियों की क्षमता पर अविश्वास करना है। सरकार ने जब पाकिस्तान की पनाहगाहों तक स्ट्राइक की बात कही, तो विपक्ष को अपने सुर बदलने चाहिए थे, लेकिन अब भी ‘राजनीति पहले, देश बाद में’ की लाइन पर अड़ा रहना बता रहा है कि जनता को दिखाने के लिए यह सब दिखावा किया जा रहा है।
◾आखिर हंगामा क्यों…?
इस मुद्दे पर सवाल यह है कि जब बहस तय थी, जवाब तय थे, मंच तैयार था तो फिर विपक्षी हंगामा क्यों ? कहना गलत नहीं होगा कि विपक्ष समझ गया और जानता भी है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ केन्द्र सरकार की एक बड़ी सैन्य व कूटनीतिक सफलता है, और यदि तथ्य सामने आ गए तो उनका झूठ धराशायी हो जाएगा। इसलिए कांग्रेस सहित अन्य ने मुद्दे को चर्चा से भटकाकर हंगामे में डुबोने की कोशिश की है। सम्भवत: विपक्ष की रणनीति यह है कि “सुनना ही नहीं है”, ताकि कोई जवाब आम जनता तक पहुंचे ही नहीं।
◾अद्भुत शौर्य पर बार-बार शक क्यों ?-
विपक्ष को समझना पड़ेगा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ केवल एक सैन्य विजय नहीं है, बल्कि यह राष्ट्र की संप्रभुता, सैनिकों के अद्भुत शौर्य और भारत की विदेश नीति की निर्णायक दृढ़ता का प्रमाण है। विपक्ष इस पर जैसी राजनीति कर रहा है, वह दरअसल अपने ही राजनीतिक भविष्य को खंडहर में बदल रहा है। अब भी वक़्त है, विपक्ष सम्भले।
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